बजाज ऑटो फिलहाल मस्ती के साथ आगे बढ़ती जा रही है। उत्पादों में विविधता, 125 सीसी के बाइकों की ज्यादा बिक्री और क च्चे मालों की लागत को कम कर पाने की बदौलत कंपनी विकास की सड़क पर फर्राटे से दौड़ रही है।
बजाज ऑटो ने दिसंबर 2008 की तिमाही में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करते हुए पूर्व के अनुमानों को गलत साबित कर दिया है। पुणे स्थिति इस कंपनी के परिचालन मुनाफ मार्जिन में मात्र में 10 आधार अंकों की गिरावट आई और यह 14.6 फीसदी के स्तर पर रहा जबकि राजस्व साल-दर-साल के हिसाब से 2,103 करोड़ रुपये रहा जिसमें मात्र 16 फीसदी की कमी आई।
बाजार में शुक्रवार को बाजाज ऑटो के शेयरों में तेजी देखी गई और यह 7 फीसदी की तेजी के साथ 468 रुपये स्तर पर बंद हुआ। शेयरों में आई उछाल से कुछ हद तक यह संकेत मिला कि कंपनी अपनी प्रतिद्वंद्वी हीरो होंडा की तुलना में मूल्यांकन के अंतर को कुछ हद तक कम कर पाई है।
हालांकि कंपनी के बाजार में बढ़ती हिस्सेदारी की स्थिति में ही कंपनी के शेयरों की फिर से रेटिंग की जा सकती है। अगर कंपनी द्वारा पिछले कुछ सालों में बाजार में लाए गए कुछ नए उत्पादों पर नजर दौडाएं तो कोई उत्साहजनक तस्वीर उभर कर नहीं आती है।
कंपनी द्वारा एक अन्य उत्पाद एक्ससीडी ने अपेक्षानुसार कारोबार नहीं किया है। हालांकि दिंसबर 2008 में कंपनी की बिक्री में 31 फीसदी की गिरावट आई लेकिन इसके बावजूद राजस्व में मात्र 16 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
कंपनी के तिपहिये का उत्पादन दिसंबर 2008 की तिमाही में बढा है। तिपहिये का उत्पादन पिछले साल की समान अवधि के 10.4 फीसदी की तुलना में 15.5 फीसदी दर्ज किया गया।
कारोबार की मात्रा में साल-दर-साल के हिसाब से आई 3 फीसदी की तेजी के बाद विश्लेषकों का अनुमान है कि इससे कंपनी की बिक्री में 35-40 फीसदी तक की अतिरिक्त बढ़ोतरी हुई होगी। इसकी वजह से कंपनी के मुनाफे में भी बडा अंतर आया होगा क्योंकि तिपहिये का परिचालन मार्जिन 20-25 फीसदी के बीच माना जाता है।
कंपनी ने 125 सीसी के बाइक भी ज्यादा बेचे जो 100 सीसी बाइक की तुलना में ज्यादा मुनाफा देते हैं। हालांकि इस समय कंपनी के प्रतिद्वंद्वी हीरो होंडा के कारोबार में कमी आ रही है और जो कारोबारी माहौल के कठिन होने का संकेत दे रहा है। इस लिहाज से बजाज ऑटो केलिए भी कारोबार करना आसान तो नहीं ही होगा।
टीसीएस: खराब प्रदर्शन
इसमें कोई शक नहीं है कि कारोबार के लिहाज से समय प्रतिकूल है लेकिन टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) ने बाजार की रही सही अपेक्षाओं का भी गला घोंट दिया। कंपनी का राजस्व कर और ब्याज की कटौती का बाद उत्साहजनक नहीं रहा।
पांउड और यूरो में ज्यादा कारोबार के कारण इन्फोसिस के राजस्व (डॉलर में) में आई 3.7 फीसदी गिरावट की तुलना में टीसीएस के राजस्व में 5.8 फीसदी की सेंध लगी।
हालांकि मुद्राओं के परिचालन के स्थिर रहने की स्थिति में इसमें टीसीएस के राजस्व में इन्फोसिस की तरह ही 1.2 फीसदी का उछाल आया जबकि कीमतों में 10 आधार अंकों की गिरावट आई।
विश्लेषक इस बात को लेकर उहापोह की स्थिति में हैं कि कंपनी के कारोबार में सिक्वेंशियल आधार पर 2.4 फीसदी की बढाेतरी हुई जो इन्फोसिस के 2 फीसदी की तुलना में बेहतर रहा जबकि कीमतों में भी कमोबेश समानता रही। विश्लेषक इसके बाद अपने आप को उहापोह की स्थिति में पा रहे हैं।
टीसीएस के विदेशों में होने वाले कारोबार में भी बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा लागत में आई कमी के कारण भी कंपनी के दर्ज किए गए मुनाफे में 50 आधार अंकों की ज्यादा की बढ़ोतरी आनी होनी चाहिए थी।
टीसएस को 250 करोड रुपये के फॉरेक्स घाटे का मतलब यह होता है कि कंपनी के शुध्द मुनाफे में मात्र 7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई जो अपेक्षाओं पर पूरी तरह से खरा नहीं उतरा।
कंपनी प्रबंधन का यह मानना है कि आगे चलकर कीमतों में गिरावट आ सकती है, इससे भी ज्यादा परियोजनाओं में हो रही देरी की वजर से यूटिलाइजेशन में कमी आ सकती है।
इसका सीधा मतलब यह निकलता है कि मार्जिन दबाव में रह सकता है। हालांकि दिसंबर तिमाही केदौरान कंपनी के कारोबार में तेजी आई और इस अवधि के दौरान कंपनी ने कई बड़े सौदे किए। इस रुझान के जारी रहने के आसार कम ही हैं क्योंकि विनिर्माण में कमी आने की संभावना बताई जा रही है।
टीसीएस का पहले से ही वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र से बेहतर कारोबार रहा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि राजस्व (डॉलर में) में इस साल करीब 8 फीसदी की तेजी आ सकती है जो शायद सबसे कम होगी। वर्ष 2009-10 के बीच कारोबार विकास गिरकर एक अंकों में आ सकता है।