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डॉ. रेड्डीज: जर्मन गोली

Last Updated- December 09, 2022 | 9:39 AM IST

डॉ.रेड्डीज लेबोरेटरिज 2012 से छह माह बाजार में जेनरिक दवा क्लेरिनेक्स बेच सकेगा। कंपनी ने हाल ही में शेरिंग कॉर्प और सेपराकोर कार्पो. के साथ एक कानूनी विवाद का निपटारा किया है।


इसके तहत उसे एक सीमित समय के लिए एंटी एलर्जिक दवा ,एल्बिट के एकल अधिकार मिल गए हैं। इसके साथ ही इस 5,006 करोड़ रुपये की इस कंपनी को जर्मनी की बीमा कंपनी एओके को 8 जेनेरिक दवाएं आपूर्ति करने के लिए चुना गया है जिसकी कुल बीमित जर्मन आबादी में 40 फीसदी हिस्सेदारी है।

उसने पिछले दिनों 64 उत्पादों के लिए 2.5 अरब डॉलर के टेंडर निकाले थे। इन करारों से रेड्डीज को जर्मन बाजार में अपना कारोबार और बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी, खासकर के उन चार दवाओं के चलते जिनकी आपूर्ति उसे दो साल तक करनी है।

हालांकि यह शुरुआती नतीजे मात्र हैं। इनके आधार पर कोई ठोस निष्कर्ष निकालना मुश्किल होगा। इसके साथ ही विश्लेषक यह सोच रहे हैं कि कंपनी ने यह क्यों नहीं बताया कि इन दवाओं की सेल्स वैल्यू क्या हो सकती है। वास्तव में कंपनी खुद नहीं जान पा रही है कि ये दवाएं उसके लिए कितने मुनाफे का सौदा साबित हो सकती हैं।

उनका मानना है कि इनकी कीमतें बेहद रियायती दर वाली हैं। क्योंकि स्तदा जैसी कंपनी ने तो पहले ही संकेत दिए हैं कि वह जर्मन बाजार में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अपनी कीमतों में आक्रामक कटौती करेगी।

बाजार में अधिक छूट के कारण डॉ. रेड्डीज की जर्मन इकाई बीटाफार्म पहले ही दबाव का सामना कर रही है। वह इस समय अपनी बिक्री को पटरी पर लाने का प्रयास कर रही है और खबर है कि उसने अपने कर्मचारियों की संख्या 250 से घटाकर 100 कर दी है। डॉ. रेड्डीज इस समय अमेरिका और रूस के बाजार में भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।

उसके कुल राजस्व में रूस का बाजार 10 फीसदी योगदान देता है और मुनाफे का एक अच्छा खासा हिस्सा उसे इस बाजार से मिलता है। कंपनी अमेरिका में भी अच्छा कारोबार कर रही है।

इस बाजार के लिए उसने अपने उत्पादों की संख्या 40 से बढ़ाकर 50 कर दी है। 2009-10 में वह एंटी माइग्रेन दवा इमिट्रेक्स की एकल बिक्री इस बाजार को करेगी जो इसके मुनाफे में कुछ इजाफा कर सकती है।

एम एंड एम: कठिन समय

नवंबर में ट्रेक्टरों का बिक्री कारोबार 33 फीसदी गिरा। इससे महिंद्रा एंड महिंद्रा के गोदाम भी भर गए हैं। नवंबर में कंपनी ने घरेलू बाजार में 5,051 ट्रेक्टर बेचे और प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर में यह बिक्री और कम होने वाली है।

अप्रैल से लेकर नवंबर के बीच कंपनी का ट्रेक्टर कारोबार सिर्फ 2.2 फीसदी ही बढ़ा। बाजार के जानकारों के अनुसार वर्ष 2008-09 में इसका बिक्री वॉल्यूम बिलकुल फ्लैट या फिर कम भी रह सकती है। एक धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था के चलते सस्ते ट्रेक्टरों की बिक्री प्रभावित हो सकती है जो परिवहन और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए उपयोग में आते हैं।

 कंपनी को जॉन डीरे और अन्य कंपनियों के हाथों अपनी कुछ बाजार हिस्सेदारी गंवानी पड़ सकती है जो मध्यम और ऊंची रेंज के क्षेत्र में अच्छा कारोबार कर रही हैं। हालात यह हैं कि भले ही अगले साल मानसून अच्छा रहे, लेकिन ट्रेक्टरों की बिक्री में इजाफा होने की उम्मीद कम ही है।

नवंबर में एम एंड एम की यूटीलिटी व्हीकल (यूव्ही) और तिपहिया वाहनों का बिक्री वॉल्यूम भी कम ही रहा है जब यूव्ही का वॉल्यूम 41 फीसदी नीचे आया।

अप्रैल और नवंबर के बीच में इनका कारोबार सिर्फ दो फीसदी ही बढ़ा है। कंपनी जनवरी में ज़ाइलो लांच करने जा रही है, लेकिन ग्राहकों में व्याप्त उदासीनता की स्थिति में बदलाव आने की उम्मीद कम ही है।

अगले कुछ महीनों तक कारोबार इसी तरह ठंडा रहने की उम्मीद है भले ही ब्याज दरों में कुछ कमी आई हो। कंपनी का कंसोलिडेट मुनाफा 2008-09 में 1,600 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है जो पिछले साल के 1,800 करोड़ रुपये के मुकाबले कम ही है। क्योंकि 2007-08 23,790 करोड़ रुपये के राजस्व के स्तर में महज 10 फीसदी के ही इजाफे की उम्मीद है।

इसके साथ ही कच्चे माल की ऊंची लागत का कंपनी के प्रॉफिट मार्जिन में असर पड़ना जारी रहेगा जो सितंबर 2008 में 2 फीसदी गिरा। यह गिरावट ऑटोमोबाइल क्षेत्र के मार्जिन में आई 4 फीसदी की कमी के चलते आई।

बदली स्थिति में भले ही कंपनी के लिए कच्चे माल की लागत कम हो जाए लेकिन कमजोर राजस्व के चलते ऑपरेटिंग मार्जिन एक सीमा से ज्यादा तो नहीं बढ़ेगा।

First Published - December 26, 2008 | 9:08 PM IST

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