भारत की चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी सत्यम के घोटाले के बाद विदेशी संस्थागत निवेशक (एफएफआई)अब ब्रोकरेज हाउसों से कह रहे हैं कि वह बड़ी कंपनियों के नतीजों की बारीकी (फोरेन्सिक) से जांच करें।
घोटाले के बाद बड़ी ब्रोकरेज फर्मों ने यह कहते हुए सत्यम के शेयरों का कवरेज बंद कर दिया कि कंपनी के मौजूदा वित्तीय आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। विदेशी संस्थागत निवेशक जो इन ब्रोकरेज फर्मों के क्लायंट हैं अब चाहते हैं कि कंपनियों के आंकड़ो को ढंग से समझा जाए।
ब्रिटेन की इक्विटी रिसर्च फर्म नोबल ग्रुप जो भारत में विदेशी संस्थागत निवेशकों को रिसर्च मुहैया कराती है, के इक्विटी हेड सौरभ मुखर्जी के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में विदेशी संस्थागत निवेशकों के रुख में बदलाव आया है, वे अब कंपनियों के खातों की गहरी जांच चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि प्रबंधन जो कह रहा है उसे स्वतंत्र रूप से जांचा जाए।
एनालिस्टों के उद्योग की सूत्रों से, पुराने कर्मचारियों और दूसरे सूत्रों से भी बातें जाननी होंगी ताकि कंपनी के अनुमानों को जांचा जा सके। उन्होने कहा कि हम चाहते हैं कि भारतीय शेयर ब्रोकर विदेशी निवेशकों की इस बदलती जरूरतों को ध्यान में रखें।
फोरेन्सिक जांच में एकाउंटिंग और ऑडिटिंग के इंटेग्रेशन के साथ ही जांच की कुशलता भी शामिल होती है। फोरेन्सिक एकाउंटेंट बैंकों, कंपनियों आदि के खातों को देख फर्जी लेनदेन और क्रिमिनल लेनदेन को पकड़ पाने में सक्षम होते हैं।
भारत में करीब छह सौ सर्टिफाइड फोरेन्सिक एकाउंटेंट हैं और हाल के इस घोटाले के बाद इनके प्रति रुचि काफी बढ़ी है। ज्यादातर फोरेन्सिक एकाउंटेंट करीब एक सौ मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए काम करते हैं।
इंडिया फोरेन्सिक कंसल्टेंसी सर्विसेस के निदेशक मयूर जोशी के मुताबिक इनमें से कई को पिछले हफ्ते कई महत्वपूर्ण एसाइनमेंट मिले हैं। पुणे का यह सलाहकार संस्थान फ्राड की जांच करने और फोरेन्सिक एकाउंटिंग का काम करता है।
इंडिया फोरेन्सिक ने सेबी, नासकॉम और सीरियस फ्राड इंवेस्टिगेशन ऑफिस को एक प्रस्ताव दिया है जिससे कि इसके सदस्यों को इन रेगुलेटर्स के पेनल में शामिल किया जा सके।
फिडेलिटी मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च, मॉर्गन स्टेनली मॉरिशस और अबरदीन असेट मैनेजमेंट जैसे बड़े विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सत्यम का घोटाला सामने आने के बाद इसके शेयरों से तुरंत हाथ झाड़ लिए थे।