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फोर्टिस: सही रणनीति

Last Updated- December 08, 2022 | 11:05 AM IST

फोर्टिस हेल्थकेयर की प्रमोटरों के पास कंपनी की 75 फीसदी हिस्सेदारी है इसलिए राइट इश्यू के जरिए 1,000 करोड़ रुपये की योजना का अर्थ है कि अधिकांश खरीदारी उनके द्वारा ही की जानी है।


हालांकि इक्विटी का डाइल्यूशन 60 फीसदी तक होगा। अगर शेयर की कीमत पिछले छह माह की औसत कीमत 65 रुपये रखी जाए तो यह इतनी खराब नहीं होगी।

क्योंकि कंपनी को इस समय अपनी वृध्दि की योजनाओं के लिए फंड की आवश्यकता है। 2012 तक उसने 40 अस्पताल खोलने की योजना बनाई है।

इसके लिए साथ ही उस पर 450 करोड़ रुपये का कर्ज है इसमें 250 करोड़ रुपये तो प्रिफरेंशियल कैपिटल के रूप में है जिसे कंपनी अपनी बैलेंस शीट से हटाना चाहती है। जो शेयरधारक राइट इश्यू को सब्सक्राइब करने वाले हैं उन्हें रिटर्न के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

अस्पताल एक लांग गेस्टेशन कारोबार है। शुरुआत में इसमंव अत्यधिक लागत आती है। इसलिए विस्तार के दौरान में ऑपरेटिंग मार्जिन कम होता है।

उदाहरण के लिए अपोलो अस्पताल के पास 8,000 बिस्तरों वाला है, का आपरेटिंग मार्जिन वाइजैग, अरागोंडा और बिलासपुर में अस्पताल खुलने के बाद 2003 में 400 बेसिस पाइंट गिरकर सिर्फ 13 फीसदी ही रह गया था।

यह सच है कि छोटे शहरों के अस्पतालों से तुलनात्मक दृष्टि से कम मार्जिन मिलता है लेकिन शुरुआती चरण में रनिंग लागत अधिक होती है और राजस्व इंफ्लो होने में समय लगता है। इसी के चलते 2000-2007 के बीच अपोलो का संयुक्त राजस्व 30 फीसदी बढ़ा जबकि इसका मार्जिन काफी अस्थिर रहा।

गोल्डमैन सैक्स का अध्ययन बताता है कि लंबी अवधि में फोर्टिस अपोलो से बेहतर कारोबार करेगा। 2013 तक फोर्टिस को प्रति बेड 35 लाख रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। यह अपोलो के 21 लाख रुपये के अनुमान से अधिक है।

इसका प्रमुख कारण यह है कि अपोलो मुख्य रूप से टियर 2 व 3 के शहरों तक सीमित है और उसके पास जनरल, विशिष्ट और अति विशिष्ट श्रेणी के बिस्तरों की संख्या काफी कम है।

सितंबर तक  साल की पहली छमाही में उसका राजस्व 17.7 फीसदी बढ़ा और शुध्द लाभ 11 करोड़ रुपये रहा जबकि प्रॉफिट मार्जिन 10.3 फीसदी रहा।

ब्रिटानिया: फिर बहुरे दिन

कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट होने की उम्मीद बनी है। खासकर के गेहूं, दूध और सब्जियों की, इससे 2,585 करोड़ रुपये की कंपनी ब्रिटानिया का मार्जिन फिर से बढ़ सकता है। अब से कुछ समय पहले तक ऊंची इनपुट लागत बिस्कुट बाजार के मार्जिन को प्रभावित कर रही थी।

सितंबर 2008 की तिमाही में इसका मार्जिन 2.4 फीसदी गिरा। जबकि 2008-09 की पहली छमाही में मार्जिन 0.90 फीसदी गिरकर 8.2 फीसदी हो गया था। यह स्थिति कंपनी द्वारा अधिकांश प्रॉडक्टों की कीमतों में किए गए इजाफे के बाद हुई।

सबसे अच्छी बात यह है कि यह कंपनी अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने में सफल रही है जो इस समय वैल्यू के लिहाज से बाजार का 33-34 फीसदी है।

यह स्थिति उसने आईटीसी जैसी बड़ी कंपनी के इस क्षेत्र में उतरने और पारले और प्रिया गोल्ड से मिल रही अच्छी टक्कर के बाद भी बरकरार रखी है।

वॉल्यूम की बात करें तो अभी भी पारले बाजार का लीडर है। इसकी तुलना में ब्रिटानिया, गुड डे और बोरबोन जैसे प्रीमियम प्रॉडक्टों की अच्छी खासी बिक्री को बरकरार रखे हुए है। विश्लेषकों के अनुसार इस क्षेत्र की वृध्दि दर 20 फीसदी रही। इसके साथ मॉस सेगमेंट में टाइगर का बिक्री वॉल्यूम अच्छा खासा है।

ब्रिटानिया को अपने वर्तमान ब्रांड का लाभ लेकर हेल्थ सेगमेंट में भी अच्छी सफलता मिलने की उम्मीद है। वह इस हेल्थ सेक्टर में न्यूट्रोच्वाइस ब्रांड के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है।

First Published - December 25, 2008 | 9:00 PM IST

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