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पेशेवर देनदारी के नाम पर जालसाजी का भी बीमा !

Last Updated- December 09, 2022 | 8:59 PM IST

सत्यम में धोखाधड़ी का मामला उजागर होने के बादकंपनी के बही-खाते का हिसाब रखनेवाली ऑडिट फर्म प्राइस वाटरहाउस की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।


इसके अलावा कंपनी की साख और भविष्य में इसके कारोबार पर भी प्रश्न चिह्न लग सकता है लेकिन इन सबके बावजूद कंपनी पर तत्काल कोई खास वित्तीय असर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह है, पेशेवर सुरक्षा कवर।

उल्लेखनीय है कि प्राइस वाटरहाउस ने वैश्विक बीमाकर्ता के हाथों से लाइबलिटी बीमा सुरक्षा ले रखी थी जिसकी विस्तार से जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है।

हालांकि फर्म को इस घटना के  बाद कितना नुकसान हुआ है और इस पेशेवर बीमा सुरक्षा से फर्म अपने आप को किस हद तक सुरक्षित बचा सकती है, इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

प्राइस वाटरहाउस के भारत स्थित प्रवक्ता ने इस बारे में चुप्पी साध ली है और पिछले दो दिन से वे किसी भी फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं। विदेश में बड़ी पॉलिसियों को बड़ी कंपनियों से खरीद लिया जाता है लेकिन भारत में इस तरह की बातें नहीं देखने को मिलती हैं।

औद्योगिक सूत्रों का कहना है कि एआईजी, आलियांज और म्युनिख रे विश्व की कुछ ऐसी बीमा कंपनियां हैं जिनसे प्राइस वाटरहाउस ने लाइबलिटी सुरक्षा संबंधी बीमा ले रखा है।

पेशवर बीमा सुरक्षा उस समय मददगार होती है जब ऑडिटर अपनी सेवा प्रदान करने में कोई बड़ी भूल कर देता है या फिर अपनी जिम्मेदारियों को ठीक ढंग से पूरा नहीं कर पाता है।

इस तरह की पॉलिसी क्लाइंटों से हुई भूल या फिर अपनी सेवा में कोताही बरतने के उनके दावे का पूरा ख्याल रखती है। यह पॉलिसी इन मसलों से जुड़े कानूनी खर्चों को भी उठाती है।

इस बाबत एक बीमा सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) सत्यम मामले में संबध्द ऑडिटरों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।

हालांकि सत्यम की घटना के बाद ऐसी अन्य बीमा कंपनियों के खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है जो अपने निदेशकों और अधिकारियों के लिए पेशेवर बीमा सुरक्षा लेती हैं।

सत्यम केपास टाटा एआईजी की डी एंड ओ के लिए 7 करोड़ 50 लाख डॉलर की बीमा सुरक्षा है जो अनियिमितता में शामिल सत्यम के कु छ अधिकारियों की मदद कर सकती है।

इस तरहे के मामलों में डी एंड ओ बीमा कवर विभिन्न चरणों में मिलता है और इस मामलें में टाटा एआईजी को प्राथमिक बीमाकर्ता कंपनी माना जा रहा है। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड न्यू इंडिया इंश्योरेंस के साथ पांचवें स्तर की सुरक्षा मुहैया कराती है।

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के एक अधिकारी के अनुसार सत्यम मामले में उनकी कंपनी के पास 130 करोड रुपये का कवर है। यूनिसन इंश्यारेंस ब्रोकिंग सर्विसेस के प्रबंध निदेशक बी के सिन्हा ने कहा कि सत्यम की धोखाधड़ी के बाद कंपनियों की तरफ से डी एंड ओ की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस घोटाले के बाद डी एंड ओ की दरें खासकर निजी बीमाकर्ता कंपनियों की ओर से काफी बढ़ सकती हैं क्योंकि यह पूरी तरह पुनर्बीमा का मामला बनता है।

इसी बारे में एक पुनर्बीमा कर्ता का कहना है कि अब तक भारत में कंपनियों को बोर्ड से ऊपर समझा जाता था लेकिन सत्यम की घटना के बाद बीमाकर्ता और पुनर्बीमाकर्ता कंपनी इन खतरों का बीमा करने के लिए अब और भी ज्यादा ऊंची कीमत मांगेंगी।

भारतीय कंपनियों को अब अनिवार्य रूप से अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबध्द होने केलिए डी एंड ओ कवर लेना होगा।

First Published - January 9, 2009 | 8:58 PM IST

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