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फंड प्रबंधन पर एक फीसदी से कम का खर्च आएगा

Last Updated- December 09, 2022 | 4:28 PM IST

वर्ष 2008 कारोबार की दृष्टि से भारी उठापटक वाला रहा है। इस भारी उठापटक के बाद पेंशन फंड कारोबार को निजी फंड प्रबंधकों के लिए खोलना वर्ष 2009 में किए जानेवाले कुछ प्रमुख सुधारों में से एक होगा।


पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डी स्वरूप इस योजना को अमली जामा पहनाने केलिए एक खाका तैयार करने में जुटे हैं। स्वरूप से सिध्दार्थ ने इससे जुड़े कई मुद्दों और देश के सभी नागरिकों के लिए अपनी सेवानिवृत्ति योजना के बारे में एक लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:

फंड प्रबंधकों की नियुक्ति और इस योजना को तैयार करने की समय सीमा क्या होगी जिससे कि निवेशक अप्रैल से इसमें निवेश करना शुरू कर दें?

हम अगले चार से पांच सप्ताहों में पेंशन फंड के प्रायोजकों की नियुक्ति की योजना बना रहे हैं। उसके  बाद उनको नई कंपनियां इसमें शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करने केलिए समय आबंटित किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में 6 सप्ताहों का और अतिरिक्त समय लगना चाहिए।

इसके बाद मार्च के मध्य तक फंड प्रबंधन कंपनियां अपना काम शुरू कर देंगी। इसके बाद 1 अप्रैल से परिचालन शुरू करने केलिए आवश्यक बुनियादी चीजें जुटाने में दो से तीन सप्ताह का समय  और लगेगा।

जहां तक उपस्थिति की बात है तो इस प्रक्रिया को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा क्योंकि उनको अलग से कंपनी स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होगी।

निवेशकों को अपने निवेश की परिपक्वता अवधि पूरी होने तक किस तरह के शुल्कों का भुगतान करना होगा?

लघु अवधि के लिहाज से शुल्क कुछ ज्यादा हो सकते हैं लेकिन ये शुल्क म्युचुअल फंडों के शुल्कों की तरह नहीं होंगे जहां पर खर्च के कारण कवर की राशि में 2 फीसदी अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता है। पूरी प्रक्रिया में कुल खर्च एक फीसदी से कम ही होगा।

दीपक पारेख के नेतृत्व वाली समिति कब तक अपनी रिपोर्ट सौंपने जा रही है?

हमें समिति की रिपोर्ट जनवरी के मध्य तक मिल जानी चाहिए और इसको अंतिम रूप देने में हमें दो से तीन सप्ताह लगेंगे।

निवेशकों के पास किस तरह के निवेश विकल्प होंगे?क्या आपने  लाइफ साइकिल प्लान पर ध्यान केंद्रित किया है या फिर डिफॉल्ट ऑप्शन के रूप में डेट में शत-प्रतिशत निवेश पर?

शत-प्रतिशत डेट ऑप्शन के अलावा लाइफ साइकिल प्लान के रूप में एक डिफॉल्ट ऑप्शन भी होगा जिसमें निवेश की योजनाओं में परिवर्तन निवेशकों की उम्र के मुताबिक होंगे। डिफॉल्ट ऑप्शन का इस्तेमाल उस समय किया जाएगा जब निवेशक स्वयं ही निवेश का विकल्प नहीं लेते हैं।

इसके अलावा हम दो या तीन अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं जहां मिक्स में परिवर्तन  इक्विटी के पक्ष में 10-15 फीसदी से लेकर 50-60 फीसदी के बीच होगा जबकि बाकी फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट में किया जाएगा।

वैश्विक आर्थिक संकट को देखते हुए क्या आपको अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंपनियों के बेहतर रुख की आशा है, खासकर उनसे जो भारत में रहकर अपना कारोबार नहीं कर रही होते हैं?

शुरू में कुछ विदेशी फंडों ने निवेश को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन इनमें से कुछ ने मौजूदा वित्तीय संकट से पहले ही अपना धैर्य खो दिया होगा।

इसका एक प्रमुख कारण यह हो सकता है इस विधेयक के पारित होने में अपेक्षाकृत ज्यादा समय लग गया। लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि जो कोई भी भारत से कारोबार कर रहे हैं,वे निश्चित तौर पर अपनी दिलचस्पी दिखाएंगे।

बीमा और म्युचुअल पुंडों में 26 फीसदी विदेशी की अनुमति और संयुक्त उपक्रम की व्यवस्था होने से बहुत सी ऐसी कंपनियां हैं जो हमारी योजना में अपनी दिलचस्पी दिखा सकती हैं।

बीमा कंपनियों का कहना है कि आपका मॉडल निवेशकों को उत्पाद के बारे में सही जानकारी देने में असफल रहता है। क्या यह आलोचना सही है?

बिल्कुल नहीं। हम निवेशकों को समुचित जानकरी के लिए बेहतर और हरसंभव प्रयास कर रहें हैं।


हम जल्द ही रिटायरमेंट सलाहकार को पेंशन फंड पर सलाह देने केलिए नियुक्त करेंगे और निवेशकों को इसकी पूरी जानकारी दी जाएगी कि कैसे और किस योजना से आगे बढा जाए।

इन सलाहकारों के बीच कोई भी आपसी टकराव नहीं होगा और क्योंकि वे किसी खास कंपनी से जुड़े नहीं होंगे।

First Published - January 1, 2009 | 8:58 PM IST

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