म्युचुअल फंड उद्योग पिछले तीन महीनों से हो रहे नुकसान से उबरने की तैयारी में है। दिसंबर के आंकडो के मुताबिक ऐवरेज असेट अंडर मैनेजमेंट (एएयूएम) में कुछ सुधार आया है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एम्फी) के मासिक आंकडो के मुताबिक म्युचुअल फंडों के एएयूएम बढ़ रहे हैं। 24 फंड हाउस (कुल 37) जिन्होंने अपने आंकड़े जारी किए हैं, उनमें से 14 के एएयूएम में सुधार दिखाई दिया है।
बाजार के जानकारों के मुताबकि यह इस कारण भी हो सकता है कि निवेशक गिल्ट फंडों में निवेश कर रहे हैं जो माना जा रहा है कि गिरती ब्याज दरों को देखते हुए बेहतर करेंगे। इसके अलावा शेयर बाजार बेहतर कर रहे हैं जिससे भी एएयूएम में सुधार दिखाई दिया है।
नवंबर में इन 24 फंड हाउस की कुल परिसंपत्ति 2.8 लाख करोड़ थी जो 4.6 फीसदी बढ़कर या कहा जाए 13,000 करोड़ रु. बढ़कर 2.93 लाख करोड़ हुई।
दिसंबर में सेंसेक्स 6.10 फीसदी बढ़ा और निफ्टी 7.41 फीसदी बढ़ा। बीएसई मिडकैप और स्माल कैप भी क्रमश: 12.10 और 11.45 फीसदी बढ़ कर बंद हुए हैं।
बड़े खिलाड़ियों में रिलायंस म्युचुअल फंड जिसका सबसे ज्यादा 70,000 करोड़ का कोष है, की संपत्ति में 3.5 फीसदी का इजाफा हुआ। इसके अलावा आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और एलआईसी म्युचुअल फंड के असेट में क्रमश: 4821 करोड़ (13 फीसदी) और 2715 करोड़ (23 फीसदी)रु. का इजाफा हुआ।
नुकसान उठाने वालों में एडिलवायस म्युचुअल फंड भी शामिल है जिसके एएयूएम में 53 फीसदी की गिरावट रही और यह 165 करोड़ से घटकर 77 करोड़ पर आ गया। भारती एएक्सए म्युचुअल फंड की संपत्ति भी 409 करोड़ से घटकर 280 करोड़ रुपए हो गई।
जनवरी 2008 से बाजार में आई भारी गिरावट के बावजूद म्युचुअल फंड उद्योग की संपत्ति में मई तक लगातार इजाफा रहा और मई अंत तक यह 5.7 लाख करोड़ से 6 लाख करोड़ पर पहुंच गया।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि निवेशक जिनमें कंपनियां और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल भी शामिल हैं, उन्होंने फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान यानी एफएमपी और लिक्विड और लिक्विड प्लस फंडों में पैसा लगाया।
हालांकि मई के बाद इसमें लगातार कमी आती गई है। इनकी संपत्ति में करीब दो लाख करोड़ की कमी आ गई है -नवंबर अंत तक छह लाख करोड़ से घटकर 4.01 लाख करोड़। म्युचुअल फंडों के लिए अक्टूबर खराब रहा क्योंकि अकेले इस महीने में फंडों की संपत्ति 97,000 करोड़ से घट गई।
ऐसा जबरदस्त नकदी संकट के कारण हुआ और इससे कई कंपनियां जिन्हें कार्यशील पूंजी की जरूरत थी उन्होंने अपने एफएमपी और लिक्विड और लिक्विड प्लस फंड से पैसा निकाल लिया।
यहां तक कि अमीर निवेशकों ने भी ऐसी स्कीमों से पैसा निकाल लिया क्योकि बाजार में कहा जा रहा था कि इस तरह की स्कीमों का पैसा जोखिम भरी प्रतिभूतियों में लगाया गया है।
इसके बाद एम्फी और सेबी दोनों ने ही ऐसी स्कीमों को रेगुलेट करने के लिए कदम उठाए थे।