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IPO में कैसे आपको अलॉट होता है शेयर? समझ लीजिए पूरा प्रोसेस

ओवरसब्सक्रिप्शन के दौरान IPO शेयर आवंटन प्रोसेस: जानिए कैसे होती है लॉटरी और निवेशकों के लिए क्या है जरूरी

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- December 19, 2024 | 5:13 PM IST

जब किसी IPO में आवेदन की संख्या उपलब्ध शेयरों से ज्यादा हो जाती है, तो इसे ओवरसब्सक्रिप्शन कहा जाता है। ऐसी स्थिति में सभी आवेदकों को शेयर आवंटित करना संभव नहीं होता। इसलिए रजिस्ट्रार एक लॉटरी प्रक्रिया का उपयोग करता है, ताकि सीमित शेयरों को निष्पक्ष तरीके से आवंटित किया जा सके। यह प्रक्रिया यह तय करती है कि सभी निवेशकों को समान अवसर मिले।

कैसे होता है अलॉटमेंट?

मान लीजिए, 10 निवेशकों ने एक IPO के लिए कट-ऑफ प्राइस पर आवेदन किया। इन निवेशकों ने 1 से 5 शेयरों के बीच आवेदन किया। कुल मिलाकर 29 शेयरों के लिए आवेदन प्राप्त हुए, जबकि IPO के तहत केवल 5 शेयर ही अलॉट किए जा सकते थे। ऐसे में रजिस्ट्रार ने लॉटरी के जरिए यह तय किया कि किन निवेशकों को शेयर मिलेंगे।

लॉटरी प्रक्रिया के तहत, निवेशक 2, 3, 5, 9 और 10 को 1-1 शेयर आवंटित किए गए, जबकि अन्य निवेशकों को कोई शेयर नहीं मिल सका। यह ध्यान देना जरूरी है कि इस प्रक्रिया में केवल वही आवेदक शामिल होते हैं, जिन्होंने कट-ऑफ प्राइस या उससे ऊपर की कीमत पर बोली लगाई हो। अगर कोई निवेशक कट-ऑफ प्राइस से कम पर आवेदन करता है, तो उसकी बोली को लॉटरी में शामिल नहीं किया जाता।

इस तरह की स्थिति में निवेशकों को यह समझना चाहिए कि ओवरसब्सक्रिप्शन के कारण शेयर मिलने की गारंटी नहीं होती। यह प्रक्रिया पूरी तरह से रजिस्ट्रार की देखरेख में होती है, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहती है।

निवेशकों के लिए यह भी जरूरी है कि वे IPO में आवेदन करते समय कट-ऑफ प्राइस का चयन करें, ताकि उनकी बोली लॉटरी प्रक्रिया में शामिल हो सके। इसके अलावा, उन्हें कंपनी की वित्तीय स्थिति और IPO की शर्तों को अच्छी तरह समझना चाहिए। इससे वे सही निर्णय ले सकते हैं और बेहतर तरीके से निवेश कर सकते हैं।

First Published : December 19, 2024 | 5:13 PM IST