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आईटी: भविष्य अधर में

Last Updated- December 09, 2022 | 8:59 PM IST

इन्फोसिस कारोबार वर्ष 2008-09 के मुनाफे के 11 गुना के स्तर पर हो रहा है जो अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है, लेकिन इसके बाद भी वैल्यूएशन अपेक्षाकृत ठीक ही लग रही है।


हालांकि इन्फोसिस ने कारोबार में सेंसेक्स को पिछले साल में मात दे दी थी लेकिन दिसंबर 2008 की तीसरी तिमाही का परिणाम आईटी क्षेत्र केलिए बेहतर संभावनाएं लेकर आएगा, इसकी उम्मीद कम ही लग रही है।

इन्फोसिस का यूएस डॉलर में आनेवाले राजस्व के अपने न्यूनतम स्तर से भी नीचे पहुंच पहुंच सक ता है वहीं टीसीएस का बॉटम लाइन फॉरेक्स घाटो के कारण बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। यहां तक की कंपनी वर्ष 2008-09 में अपने डॉलर में आनेवाले राजस्व के लक्ष्य में कमी कर सकती है।

एक बात जो वर्ष 2008-09 में आईटी कंपनियों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक हुई है वह है रुपयों की कीमतों में 20 फीसदी से ज्यादा की गिरावट। इस वजह से इन कंपनियों के रुपये में आनेवाले राजस्व में बढ़ोतरी होगी और जिससे इनके परिचालन मुनाफा मार्जिन पर दबाव कुछ हद तक कम हो सकेगा।

हालांकि पाउंड केमुकाबले डॉलर की कीमतों में सुधार से इन कंपनियों द्वारा अर्जित डॉलर में अर्जित राजस्व में गिरावट आ सकती है।

अगर ये ऐसा होता है तो फिर इससे इन कंपनियों के डॉलर में अर्जित आय में कमी आ सकती है। इसके अलावा प्रबंधन की और से आ रहे बयान से आनेवाले समय में कुछ बेहतर संभावनाओं की संभावना कम ही दिखाई दे रही है।

अगर ऐसा होता है तो इससे इस बात का संकेत मिलेगा कि मांग में अपेक्षा से अधिक कमी आ रही है और इसमें किसी तरह के आश्चर्य की बात नहीं होगी क्योंकि  आर्डर के वापस लिए जाने की खबरें आ रही है जबकि कुछ ऑर्डर तो पहले ही रद्द हो चुके हैं।

विश्व की प्रमुख आईटी कंपनियों से पिछले कुछ महीनो से जो चेतावनी मिल रही है उससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में किसी तरह के सुधार उम्मीद फिलहाल नहीं दिख रही है। 

चारो तरफ मंदी के और जारी रहने की ज्यादा बात की जा रही है। इसके परिणामस्वरूप ऐसा लग रहा है कि लोग आईटी बजट को लेकर वर्ष 2007 में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाएंगे।

दोपहिया: राह में रोड़े

हीरो होंडा जो कठिन कारोबारी माहौल के बावजूद अपने कारोबार की मात्रा को कुछ हद तक बढाने में सफल रही थी, ऐसा लगता है इसके लिए भी रास्ता अब आसान नहीं रहा है।

ऐसा लगता है कि कंपनी के लिए दोपहिए के कारोबार में दिसंबर तिमाही में अनुमानत: 12 फीसदी की कमी आई है।

वर्ष 2008-09 के अधिकांश बेहतर समय में ग्रामीण और छोटे शहरों में अपनी जबरदस्त पहुंच के कारण कंपनी बेहतर कारोबार कर पाने में सफल रही थी।

हालांकि एक बात जो गौर करने लायक है वो ये कि कंपनी की कुल बिक्री में दोपहिए के लिए दिए जाने वाले ऋण की मदद से की जाने वाली खरीदारी का भी अहम योगदान होता है।

पिछले कुछ महीनों में यह य ह वि त्तीय सहायता आसानी से नहीं मिल रही है जिससे कंपनी के कारोबार को खासा नुकसान पहुंचाया है।

अत: इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि इसकी प्रतिद्वंद्वी बजाज ऑटो जिनकी बिक्री में दोपहिए के लिए दिए जानेवाले ऋण का महत्वपूर्ण योगदान होता है, उसकी बिक्री में दिसंबर में 33 फीसदी की कमी आई है।

पुणे स्थित इस कंपनी का कारोबार 2008 में पूरे साल फीका रहा। फिलहाल हीरो होंडा का कारोबार 774 रुपये पर वित्त वर्ष 2009-10 के अनुमानित मुनाफे के 11 गुना पर हो रहा है जबकि बजाज ऑटो केशेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009-10 के अनुमानित मुनाफे के 6.5 गुना के स्तर पर हो रहा है।

हालांकि कारोबार में कमी के बावजूद हीरो होंडा अकेली ऐसी कंपनी होगी जिसकी कुल बिक्री में दिसंबर 2008 की तिमाही में 5 फीसदी की तेजी आएगी।

सितंबर की तिमाही में कंपनी की कुल बिक्री में 33 फीसदी की मजबूती आई थी। इसके उलट बजाज ऑटो की बिक्री में दोहरे अंकों की कमी सकती है।

हीरो होंडा का परिचालन मुनाफा मार्जिन, हालांकि 14 फीसदी की गिरावट के साथ सपाट रह सकता है क्योंकि कमोडिटी की कीमतों में कमी का फायदा वर्ष 2009 की मार्च तिमाही में ही मिल सकता है।

बजाज ऑटो ने अगले महीने कई उत्पाद बाजार में उतारने जा रही है, लेकिन बजाज ऑटो की हालत सुधरने में कुछ समय लग सकता है।

First Published - January 9, 2009 | 9:05 PM IST

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