बंबई स्टॉक एक्सचेंज ने शेयरों के जेड वर्ग को समाप्त करने का निर्णय लिया है और इस वर्ग में शामिल कंपनियों को उनके उसी मूल वर्ग में स्थानांतरित किया जा चुका है, जहां से उन्हें जेड वर्ग में लाया गया था।
इस जॅड वर्ग को समाप्त करने की एक वजह इसका लोकप्रिय नहीं होना है। फिलहाल, जेड वर्ग में 1,686 कंपनियां हैं जिनमें से केवल 124 में ही कारोबार होता है। बीएसई ने इन कंपनियों को स्थानांतरित करने के लिए पिछले वर्ष 17 दिसंबर को ही आवश्यक शर्तों की घोषणा कर दी थी।
बीएसई के प्रवक्ता ने बताया कि इस वर्ग को खत्म करने की वजह निवेशकों का भ्रम दूर करना था। इस वर्ग को खत्म करने के बाद जब निवेशक उन कंपनियों में पैसा लगाएंगे जो पहले इस वर्ग में थीं तो उन्हें बेहतर कमाई मिल सकेगी।
बीएसई में जिन कंपनियों को जेड समूह में रखा गया है, उनमें से कई कंपनियों का कारोबार दूसरे एक्सचेंजो में सामान्य तौर पर होता है। इससे निवेशकों में भ्रम पैदा होता है। जेड समूह की कंपनियों को जब दोबारा से सूचीबद्ध किया जाता है तो उन पर कोई सर्किट लागू नहीं होता है।
ऐसे में इन कंपनियों के शेयरों के सौदों में कई बार भारी उतार चढ़ाव की संभावना बनी रहती है। अब इन कंपनियों को जेड समूह से हटाने पर बेहतर ढंग से कारोबार किया जा सकेगा और बेहतर आय कमाने की भी संभावना बनी रहेगी।
बीएसई का यह फैसला एक बार में जॅड वर्ग की सभी कंपनियों पर अपने आप ही लागू नहीं होगा। पहले शेयर बाजार उन्हें निर्देश मानने के लिए नोटिस जारी करेगा। फिर उन्हें बी वर्ग में शामिल किया जाएगा। हाल में बीएसई ने जॅड ग्रुप की छह कंपनियों को बी वर्ग में और 55 को टी वर्ग में डाला है।
बीएसई ने इस वर्ग की करीब 386 कंपनियों को नोटिस जारी किए हैं। इस वर्ग में 1200 से अधिक कंपनियां हैं जो निलंबित हैं। आम भाषा में ोड वर्ग की कंपनियों को चवन्ना शेयर कहा जाता है। बीएसई ने कंपनियों को जॅड वर्ग में शामिल किए जाने के लिए कुछ मापदंड तय किए थे।
इनमें सूचीबध्दता शुल्क नहीं जमा कराना और सूचीबध्दता से जुड़ी दूसरी शिकायतें शामिल थीं। जिन कंपनियों के बारे में निवेशकों की ज्यादा शिकायतें आती हैं, उन्हें भी ोड वर्ग में डाल दिया जाता है।