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कई दिग्गजों का कद छोटा कर गया पिछला साल

Last Updated- December 09, 2022 | 4:09 PM IST

नए साल में निवेशकों पर शेयरों में आई गिरावट का भूत बरकरार रह सकता है क्योंकि 2008 की मंदी ने बडे बड़े दिग्गजों का कद कतर दिया है।


फिर भले ही वह रिलायंस जैसी महाकंपनी हो, आईसीआईसीआई जैसा भारी भरकम बैंक या फिर डीएलएफ जैसी सुपर बिल्डर। कोई नहीं बचा इससे।

शेयर बाजार का मार्केट कैप (बाजार पूंजीकरण) इस एक साल में आधे से भी कम हो गया। निवेशकों के पैरों तले तेजी से सरकती जमीन का आलम यह था कि हर मिनट पचास करोड़ रुपए उनकी जेब से कम हो रहे थे।

 शेयर बाजार का कुल मार्केट कैप इस एक साल में ही 72,54,306 करोड़ रुपये से घटकर 31,39,815 करोड़ रुपये(29 दिसंबर) पर आ गया। यानी साल भर में निवेशकों की जेब में 41,144,91 करोड़ का सूराख।

इस साल सबसे ज्यादा नुकसान (रकम के लिहाज से) हुआ रिलायंस इंडस्ट्रीज के निवेशकों को। इस दौरान कंपनी के निवेशकों की 257,117.94 करोड़ की संपत्ति साफ हो गई और इसके बाद रही रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ जिसका मार्केट कैप 135,919.16 करोड़ रुपए से कम हो गया।

इसके बाद ओएनजीसी रही जिसका मार्केट कैप इस दौरान 264473.75 करोड़ से घटकर 140706.88 करोड़ रुपए रह गया यानी निवेशकों को कुल 123,766.87 करोड़ रुपये का नुकसान। यूं तो रियल एस्टेट की सभी कंपनियों के लिए यह साल कभी न भुलाने वाला रहा है ।

लेकिन प्रतिशत में देखें तो टॉप टेन की इस सूची में सबसे ऊपर रही युनिटेक जिसका मार्केट कैप 79262.51 करोड़ से घटकर मात्र 6160.80 करोड़ रु पयेरह गया।

यानी नब्बे फीसदी से भी ज्यादा पूंजी साफ हो गई। बैंकिंग की बात करें तो घाटा उठाने वाले टॉप टेन में सबसे ऊपर छठे नंबर पर रहा आईसीआईसीआई बैंक जिसका मार्केट कैप 87721.64 करोड़ रुपये घट गया।

जाहिर है बाजार की अफवाहों ने इस बैंक को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा टॉप टेन की सूची में चौथे नंबर पर एनएमडीसी रही जिसका बाजार पूंजीकरण 118,496.96 करोड़ रुपए से घट गया। पांचवें नंबर पर रिलायंस कम्युनिकेशंस रही जिसका मार्केट कैप 110,146.42 करोड़ रुपए से कम हो गया।

टॉप टेन की बाकी कंपनियों में सेल, एल ऐंड टी, यूनीटेक और एमएमटीसी भी शामिल रहीं। हालांकि प्रतिशत के लिहाज से देखें तो यूनीटेक के 92 फीसदी के बाद मेटल के धंधे में लगे ओपी जिंदल समूह का मार्केट कैप इस दौरान पचहत्तर फीसदी से ज्यादा घटा।

अदानी समूह की बाजार पूंजी भी करीब 75 फीसदी साफ हुई। रिलायंस बंधुओं में अनिल अंबानी के एडीएजी का मार्केट कैप करीब 73 फीसदी फिसला जबकि मुकेश अंबानी के रिलायंस के मार्केट कैप में सत्तावन फीसदी के करीब की गिरावट रही।

इस दौरान एवी बिरला समूह का 66 फीसदी, टाटा समूह का 61 फीसदी और अजीम प्रेमजी के विप्रो का मार्केट कैप करीब 57 फीसदी  घट गया। कुल 244 दिनों के कारोबार में हुए इस सफाए को छोटे आंकडो में समझें तो हर कारोबारी मिनट में पचास करोड़ से ज्यादा का मार्केट कैप साफ हुआ।

2007 के दौरान निवेशकों की संपत्ति दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ गई थी और हर मिनट उनकी संपत्ति में 40 करोड़ रु पये का इजाफा हुआ था। वर्ष 2007 की शुरुआत में बाजार का कुल मार्केट कैप 36,24, 357 करोड़ रुपए का था।

मार्केट कैप किसी भी पूंजी बाजार की सेहत बयां करता है, किसी शेयर का मार्केट कैप आउटस्टैंडिंग शेयरों की कुल संख्या को उसके बाजार भाव से गुणा करके निकाला जाता है।

First Published - December 31, 2008 | 8:59 PM IST

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