पूंजी बाजार का नियामक सेबी प्रवर्तकों पर और लगाम कसने की सोच रहा है। वह ऐसे बदलाव लाने पर विचार कर रहा है ताकि वह कंपनियों के प्रवर्तकों से पूछ सके कि उनकी जुटाई रकम कहीं उनकी होल्डिंग (प्रवर्तक की) को गिरवी रखकर तो नहीं उगाही गई है।
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इस पर कोई फैसला तो नहीं लिया गया है लेकिन इस बारे में चर्चा जरूर हुई है और सबकी राय लेने के बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।
पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई अवसर आए जब फाइनेंसरों ने स्टॉप लॉस ट्रिगर होने के बाद उन्होंने उनके पास गिरवी रखे प्रवर्तकों के शेयरों को बाजार में बेच दिया।
हाल में ऐसा ही ऑर्किड केमिकल्स के मामले में हुआ। फाइनेंसरों द्वारा सत्यम कंप्यूटर्स के प्रवर्तकों के शेयरों की बिक्री की खबर के बाद अब यह मामला फिर से गरमा गया है। सत्यम के चेयरमैन सारी जानकारी तब सामने लाए जब उनकी ज्यादातर होल्डिंग बाजार में बेच दी गई।
शेयर गिरवी रखकर पैसा उगाहना प्रवर्तकों के लिए नया नहीं है। आमतौर पर प्रवर्तक नए कारोबार में पैसा लगाने या कंपनी में अपनी होल्डिंग बढ़ाने या किसी और कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढाने के लिए यह रास्ता अपनाते हैं।
चढ़ते हुए बाजार में यह सब चल जाता है लेकिन मुश्किल तब होती है जब बाजार गिर रहा होता है और प्रवर्तक मार्जिन मनी के लिए पेमेंट नहीं कर पाते।
जो इस धंधे को जानते हैं उनका कहना है कि कई नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) और कुछ बैंक इस तरह की फाइनेंसिंग में काफी सक्रिय हैं।
गिरवी रखे गए शेयर किसी एक ट्रस्ट के पास रखे जाते हैं(सत्यम के मामले में यह आईएलएफएस ट्रस्ट था)। अगर माजिर्न कॉल ट्रिगर होती हैं या फिर बाजार एक सीमा से ज्यादा गिर जाता है तो ट्रस्ट फाइनेंसर को इसकी जानकारी देता है और अगर प्रवर्तक बकाया रकम नहीं देता तो फाइनेंसर उन शेयरों को बेच देता है।
कई बार प्रवर्तक और ज्यादा शेयर गिरवी रख कर मार्जिन पूरा कर देते हैं लेकिन सत्यम के मामले में ऐसा नहीं हो सका क्योंकि राजू और उनके परिवार के पास ज्यादा शेयर नहीं बचे थे। फाइनेंसर को शेयर बेचने से पहले ट्रस्ट की परमीशन यानी सहमति लेना जरूरी होता है।
आईएल ऐंड एफएस के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर विभव कपूर के मुताबिक सेबी को प्रवर्तकों से पूछना चाहिए कि क्या उन्होंने अपनी होल्डिंग गिरवी रखकर पैसा जुटाया है, इससे बाजार में ट्रांसपेरेन्सी भी बढ़ेगी।
हालांकि बाजार के जानकारों का कहना है कि बाजार में ऐसी कोई भी जानकारी आने से उस काउंटर में बिकवाली का दबाव बढ ज़ाएगा। क्योकि प्रवर्तकों का शेयर गिरवी रखकर पैसा उगाहना जोखिम भरा माना जाता है।
उनके अनुमान के मुताबिक फंडिंग के कई रास्ते बंद होने से हाल में ऐसी करीब 100-150 कंपनियां होंगी जिनके प्रवर्तकों ने अपने शेयर गिरवी रखकर पैसा उगाहा हो सकता है।