सत्यम समूह की कंपनी रही सत्यम इन्फोवे द्वारा 2000-01 में किए गए अधिग्रहण और प्रमोटरों द्वारा पिछली दिसंबर में शेयरों के बायबैक के घोषणा कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सेबी टीम का ध्यान गया है, जो सत्यम कंप्यूटर्स के वित्तीय घोटाले की जांच कर रही है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक 2000-01 में हुए अधिग्रहण- 499 करोड़ में राजेश जैन से हाई प्रोफाइल वेब पोर्टल इंडिया वर्ल्ड कम्युनिकेशंस की खरीद की गई थी, यह खरीद सत्यम इन्फोवे ने की थी और यही से अधिग्रहण की आड़ में विदेशों में पैसा भेजे जाने की शुरुआत हो सकती है।
2002 में सत्यम इन्फोवे का सत्यम कंप्यूटर्स में विलय कर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक इस तरह की खरीद पिछले आठ सालों में हुई है यानी जितने समय से गड़बड़ियां चल रही हैं।
सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस और सेबी की जांच रिपोर्ट एनफोर्समेंट निदेशालय को सौंप दी जाएगी जो विदेशों में पैसा पार्क करने या भेजे जाने की आगे जांच करेगी।
सेबी इस बात की भी जांच करेगी कि प्रवर्तकों ने बायबैक की घोषणा कैसे कर दी जब कि उन्हे पता था कि रिजर्व में कोई पैसा नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि यह कदम शेयर भावों को स्थिरता देने के लिए किया गया हो सकता है ताकि संस्थान अध्यक्ष रामलिंग राजू की गड़बड़ियों की स्वीकारोक्ति से पहले शेयर बेचकर निकल सकें।
और यह मामला इनसाइडर ट्रेडिंग का होगा। इसके अलावा वो संस्थान भी जांच के दायरे में आएंगे जिन्होने बायबैक की घोषणा के बाद अपने शेयर बेचे हैं।
बीएसई और एनएसई से मिले बल्क और ब्लॉक डील के आंकड़ों से साफ हैं कि इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ऐंड लीजिंग सर्विस ट्रस्ट कंपनी लिमिटेड और विदेशी संस्थागत निवेशक जैसे स्विस फाइनेंस कार्पोरेशन (मॉरिशस), मॉर्गन स्टेनली मॉरिशस लि.,फिडेलिटी मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च कंपनी, एबरदीन इंटरनेशनल, इंडिया
ऑपर्चुनिटीज फंड मॉरिशस, अबरदीन असेट मैनेजर्स लि., द बोस्टन कंपनी असेट मैनेजमेंट एलएलसी और जेपी मॉर्गन फ्लेमिंग असेट मैनेजमेंट शामिल हैं।
इंडिया वर्ल्ड कम्युनिकेशंस पोर्टल की ऑल कैश डील ने इस ओर ध्यान खींचा था। क्योकि इंडिया वर्ल्ड की पूंजी बीस लाख की थी और 499 करोड़ में इसकी खरीद का मतलब है हर दस रुपए का शेयर 2500 रुपए का खरीदा गया।