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टाटा मोटर्स: धीमी रफ्तार

Last Updated- December 09, 2022 | 6:03 PM IST

सरकार द्वारा व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में तेजी लाने केमकसद से किए गए उपायों के बावजूद इन वाहनों की बिक्री में जल्द ही कोई तेजी आनेवाली नहीं है। अगर इसके कारणों पर नजर दौड़ाएं तो आसार अच्छे नहीं दिखाई पड़ रहे हैं।


अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन में 0.4 फीसदी की गिरावट आने के साथ ही और इसके अलावा विनिर्माण क्षेत्र में भी 1.2 फीसदी की गिरावट के बाद औद्योगिक उत्पादन में किसी तरह की मजबूती आने की संभावना बहुत कम ही नजर आ रही है।

इस लिहाज से जब तक वस्तुओं की मांगो में तेजी देखने को नहीं मिल जाती तब तक किसी भी तरह के सकारात्मक रुख की बात करना अंधेरे में तीर चलाने जैसा ही होगा। वास्तव में अर्थव्यवस्था को लेकर जो संकेत मिल रहें हैं, उनके अनुसार निकट भविष्य में इसमें किसी तरह के विकास की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

अगर एनबीएफसी को आनेवाले समय में बेहतर ग्राहक मिल भी जाते हैं तो निश्चित तौर पर यह आश्चर्य की बात होगी क्योंकि बैंकों की तरह एनबीएफसी भी कर्ज देने में सावधानी बरत सते हैं।

अगर एनबीएफसी लोगों को कर्ज मुहैया कराती है, इसकेबावजूद भी फ्लीट ऑपरेटर ट्रकों की खरीदारी से अपने को दूर रखना ही पसंद करेंगे क्योंकि फंडों की कीमत अभी भी कम नहीं हुई है।

कम से कम ऑपरेटर नए ट्रक खरीदने से पहले निश्चित तौर पर इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाना पसंद करेंगे कि इसकी खरीद के साथ वो बेहतर कारोबार कर पाएंगे। दीगर बात यह भी है कि जब तक नए ट्रकों की खरीद नहीं होती है तब तक इनकी कीमतों में आई तेज गिरावट का लाभ भी नहीं मिलेगा।

टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक रविकांत का यह कहना बिल्कुल सही है कि सरकार को इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि नकदी की पहुंच आम लोगों तक बेहतर दरों पर हो सके।

उनकी यह चिंता बिल्कुल जायज है क्योंकि उनकी कंपनी में मध्यम और भाड़ी व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में दिसंबर में सीधे 69 फीसदी की गिरावट आई है जो नवंबर में आई 60 फीसदी की गिरावट से ज्यादा है।

लगभग यही कहानी यात्री कारों की है जिसके कारोबार में दिसंबर में 25 फीसद की गिरावट आई है। यह गिरावट कंपनी के इंडिगो के बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद भी दर्ज की गई है।

रैनबैक्सी: मुश्किलें जारी

रैनबेक्सी द्वारा माइग्रेन की दवा इमिट्रेक्स को अमेरिकी बाजार में उतारने में हो रही अनुमानित देरी 6,648 करोड़ रु पये वाली कंपनी को नुकसान पहुंचा सकती है। बाजार को अमेरिका में जेनरिक दवाइयों की बिक्री से 8-10 करोड़ डॉलर के राजस्व अर्जित करने की आशा थी।

हालांकि इस बात की आशा की जा रही है कि कंपनी अपने अन्य उत्पादों केलिए मंजूरी प्राप्त कर लेगी। इनमें वेलासाइक्लोवीर और टेमसूलोसिन प्रमुख दवाइयां हैं जिन्हें लेकर कंपनी को आशा है कि वर्ष 2009 और 2010 में अमेरिकी बाजार में इस दवा को बेचनेवाली वह अकेली कंपनी होगी।

ठीक इसी दौरान कं पनी के लिए अमेरिका में कारोबार कर पाना आसान नहीं होने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस कंपनी का हाल में ही जापान की दवा निर्माता कंपनी दायची ने अधिग्रहण कर लिया था।

मॉर्गन स्टैनली के अनुसार रैनबेक्सी अमेरिकी बाजारों में अपनी हिस्सेदारी खोती जा रही है जबकि आईएमएस आंकड़ों के अनुसार कंपनी ने काफी कम समय में अपने कारोबार का 45 फीसदी हिस्सा खो दिया है।

विश्लेषकों के अनुसार रैनबेक्सी के यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों से आनेवाले राजस्व (डॉलर परिचालन में) में सितंबर 2008 में काफी कमी आई है। ये दोनों बाजार कंपनी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं और इनका कंपनी के कुल राजस्व में हिस्सेदारी डॉलर परिचालन में 35-36 फीसदी के बीच होती है।

रैनबेक्सी के लिए अमेरिका में मुश्किलों की शुरुआत सितंबर में आए एफडीए आदेशों के उस आदेश के बाद शुरू हुई है जिसमें कंपनी के ऊपर अपने 30 जेनरिक दवाइयों के अमेरिकी बाजार में बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

हालांकि इस बारे में सटीक संख्या तो उपलब्ध नहीं है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इन दवाइयों का कंपनी के अमेरिकी बाजार में कुल बिक्री में योगदान 30-40 फीसदी का जबकि कंपनी के कुल बिक्री में इनका योगदान 10 फीसदी के करीब है।

हालांकि इमिट्रिक्स का निर्माण कंपनी केदो प्रतिबंधित प्लांटों में नहीं किया जा रहा है। हालांकि अमेरिका बाजार में कंपनी की जो भी हालत रही हो लेकिन कंपनी ने अन्य देशों जैस रूस, उक्रेन और ब्राजील के बाजारों में बेहतर कारोबार किया है।

इससे कंपनी के सितंबर 2008 की तिमाही में कुल बिक्री में 14 फीसदी की तेजी देखने को मिली। हालांकि इसके बावजूद कंपनी का परिचालन मुनाफा मार्जिन 820 अंक लुढ़कर 7.6 फीसदी के स्तर पर आ गया।

First Published - January 6, 2009 | 9:06 PM IST

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