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ऋण देने में अब हम और उदार रवैया अपनाएंगे

Last Updated- December 09, 2022 | 4:55 PM IST

मंदी की मार से बेहाल बैंक एक और जहां ऋण देने से मुकर रहे थे वहीं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) नकदी की कमी का सामना कर रही हैं।


शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दरों में एक और कटौती की घोषणा के साथ ही वित्तीय प्रणाली में नकदी का प्रवाह और बढ़ जाएगा। आरबीआई केइस कदम का उद्योग जगत ने स्वागत किया है।

सिध्दार्थ ने रिलायंस कैपिटल के मुख्य कार्यकारी सैम घोष के साथ दरों में यह कटौती करने के बाद  उनके समूह की  वित्तीय इकाई पर पड़नवोले असर और भविष्य को लेकर उनकी योजनाओं को लेकर बातचीत की।

पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

पिछले चार महीनों में आपकी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का प्रदर्शन कैसा रहा है?

पिछले साल अक्टूबर में और पिछले 15 दिनों में नकदी की कमी के कारण ऋणों का आबंटन धीमा रहा जिसकी प्रमुख वजह ब्याज दरों में जारी उठापटक और नकदी की कमी थी।

दिसंबर महीने में फंडों की कीमत में कमी आई जिसके बाद हमने ऋणों के आबंटन को लेकर सतर्क हो गए और पहले से अधिक चुनिंदा हो गए।

जिस समय फंडों की कीमतें काफी ऊंची थी, उस समय कर्ज देने की दर 16 से 19 फीसदी के बीच थी । उस स्तर पर कुछ गिने चुने ग्राहक तो थे लेकिन वे शुरुआती कुछ महीनों के बाद भुगतान करने में सक्षम नहीं हो पाते।

लेकिन इस समय हम कम दरों पर रकम प्राप्त करने की आशा कर रहे हैं और साथ ही कम दरों पर ऋण भी मुहैया कराने की योजना बना रहे हैं। अब हम कुछ हद तक  ज्यादा उदारता दिखा सकते हैं।

आपके लिहाज से पैसे की लागत में किस तरह से बदलाव आए हैं?

सितंबर केअंत तक फंडों की मार्जिनल लागत 11.5 फीसदी थी जबकि पिछली तिमाहियों में यह 9.5-9.8 फीसदी के करीब थी। नवंबर महीने में यह 13 फीसदी के स्तर पर आ पहुंची।

हमारा मानना है कि यह घटकर 12-12.5 फीसदी के स्तर पर आना चाहिए लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगी कि बैंक आरबीआई के द्वारा दरो में की गई कटौती की प्रतिक्रियास्वरूप किस तरह के कदम उठाते हैं। जहां तक व्यावसायिक वाहनों पर मिलने वाले ऋणों की बात है तो हमारे हिसाब से यह थोड़ा बहुत कम हो सकता है।

इससे तो आपके ऋण आबंटन पर निश्चित तौर पर असर पडा होगा?

हां, तीसरी तिमाही में पिछली तिमाहियों की अपेक्षा यह 30-40 फीसदी के बीच रहेगा।

ऊंची ब्याज दरों और कर्ज लेनेवालों पर आर्थिक मंदी के चलते पड़नेवाले प्रभाव के कारण एनबीएफसी व्यावसायिक वाहनों और ऑटोमोबाइल के लिए ऋण नहीं दे रही थी।

व्यक्तिगत ऋण भी हम फिलहाल मुहैया नहीं करा रहे हैं लेकिन इस तिमाही में हम इसकी शुरुआत कर सकते हैं।

अभी आपकी लोन बुक की क्या स्थिति है?

दिसंबर के अंत में लोन बुक में सिंतबर की समाप्ति पर 9,500 करोड़ रुपये की तुलना में 9,000 करोड रुपये रहना चाहिए। दिसंबर महीने में हमने 100-150 करोड़ रुपये के ऋणों का आबंटन किया, हालांकि इस संख्या में अभी भी सुधार किया जा रहा है।

मार्च के अंत तक लोन बुक 10,000 करोड़ रुपये के स्तर पर रहना चाहिए लेकिन बहुत कुछ अगले सप्ताहों में होनेवाले घटनाक्रम पर निर्भर करेगा।

हमारा अनुमान है कि बैंक 10 जनवरी से पहले योजनाओं को मजबूती प्रदान करेंगे और साथ ही आरबीआई भी तब तक अपनी नई योजनाओं के साथ सामने आएगा।

अगर सारी चीजें 15 जनवरी त क हो जाती है तो फिर इस साल हम सामान्य तौर पर कर्ज मुहैया करते रहेंगे।

आप आरबीआई द्वारा घोषित एसपीवी से किस तरह पूंजी जुटाएंगे? पूंजी के स्त्रोत क्या होंगे?

हमें इस बाबत संपूर्ण जानकारी नहीं मिली है लेकि न फिलहाल मुश्किलें पहले से कम हो गई हैं और बैंक एक बार फिर से कर्ज मुहैया कराने की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

यही नहीं बैंक म्युचुअल फंडों के साथ अपने कारोबार को भी फिर से तवज्जो दे रहे हैं और इसमें अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। फंडों को लेकर हमें कोई खास परेशानी नहीं हो रही है क्योंकि हम कभी भी मदद के लिए बैंक की तरफ अपना रुख कर सकते हैं।

First Published - January 5, 2009 | 9:18 PM IST

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