विप्रो ने सिटी ग्रुप की भारतीय तकनीकी फर्म सिटी टेक्नोलॉजी का अधिग्रहण एक सही समय पर किया है और यह सौदा महंगा नहीं रहा।
50 करोड़ डॉलर का यह सौदा ऐसे समय में हुआ है जब इस तरह केसौदे कम ही हो रहे हैं। यह बाजार के लिए अच्छी खबर है। यह सौदा विप्रो की बिक्री का 1.6 गुना है।
कुल मिलाकर नकद में हुआ यह सौदा विप्रो के लिए किफायती रहा। विप्रो ने उस कारोबार के लिए 12.7 करोड़ डॉलर चुकाए जिसका राजस्व 2008 में 8 करोड़ डॉलर रहा था।
कंपनी केपास 5,960 करोड़ रुपये नकदी केरूप में हैं। ऐसे में कंपनी केलिए इस सौदे का दाम चुकाना कोई बड़ी बात नहीं थी।सिटी के इस सौदे से विप्रो की दखल बैंकिंग और वित्तीय सेवा (बीएफएसआई) क्षेत्र में हो जाएगी।
इसके साथ ही इस कंपनी ने टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर सेवा क्षेत्र और एप्लीकेशन डेवलपमेंट और रख-रखाव में भी काम किया है। अब 19,957 करोड़ रुपये की विप्रो दूसरे ग्राहकों के साथ इसका लाभ उठाने में सफल रहेगी।
इस समय आईटी क्षेत्र वैश्विक बाजार में आ रही मंदी से अछूता नहीं है। नतीजतन, आईटी क्षेत्र में किए जा रहे व्यय में कटौती की जा सकती है।
गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार इन कंपनियों द्वारा किए जा रहे खर्च 2009 में और कम हो सकते हैं। अच्छी बात यह है कि इस क्षेत्र के 6.5 फीसदी की विकास दर अर्जित करने की उम्मीद की जा रही है।
सितंबर 2008 की तिमाही में विप्रो के राजस्व में 7.8 फीसदी की वृध्दि हुई है। उसे रुपये के अवमूल्यन का भी लाभ मिला है। हालांकि डॉलर के आधार पर यह वृध्दि महज चार फीसदी ही रही है। कंपनी का परिचालन मार्जिन 21 फीसदी केस्तर पर सपाट बना हुआ है।
बीएफएसआई क्षेत्र तिमाही दर तिमाही के आधार पर 7.7 फीसदी की दर से वृध्दि कर रहा है। यह उस स्थिति में है जब टेक्नोलॉजी, टेलीकॉम और मीडिया क्षेत्र के ठीके डॉलर में थे।
कंपनी प्रबंधन का कहना है कि डॉलर के आधार पर आकलन किया जाए तो दिसंबर 2008 की तिमाही में विकास दर एक फीसदी ही रहने वाली है।
जेपी ऐसोसिएट्स: निराश हुए शेयरधारक
इस कंपनी ने सत्यम के मामले से कोई सबक नहीं सीखा है। उसे भी लगता है कि अपने शेयरधारकों का कोई ख्याल नहीं है। जेपी एसोसिएट्स के अपने समूह की एक अन्य कंपनी जेपी इंटरप्राइजेज का अधिग्रहण कर लिया है बाजार भाव काफी ज्यादा है और उसके प्रवर्तकों के पास कंपनी की 88 फीसदी हिस्सेदारी है।
जेपी इंटरप्राइजेज के बारे में कम ही जानकारी है। विश्लेषकों का कहना है कि जिस अनुपात में यह विलय हुआ है, उससे जेपी इंटरप्राइजेज को ही लाभ पहुंचने वाला है। उस अपने एक शेयर के बदले में जेपी एसोसिएट्स के तीन शेयर मिलेंगे।
इस सौदे के लिए जेपी एसोसिएट्स को 700 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे जिसने 2007-08 में 25.2 फीसदी का शुध्द मुनाफा अर्जित किया। विशेषज्ञ जेपी इंटरप्राइजेज की तय की गई कीमतों के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं।
उसकी वैल्यू पीई वैल्यू 28 गुना आंकी गई, वहीं जेपी एसोसिएट्स जिसने 2007-08 में कर के बाद 610 करोड़ का मुनाफा अर्जित किया, की पीई वैल्यू महज 16 गुना ही आंकी गई। इसी केचलते जब इस सौदे की घोषणा की गई तो उससे शेयरधारक अधिक उत्साहित नहीं थे।
परिणामस्वरूप जेपी ऐसोसिएट्स का शेयर मंगलवार को 10 फीसदी गिरकर 78.35 रुपये पर पहुंच गया। इसके साथ ही जेपी होटल्स जिसमें जेपी एसोसिट्स की हिस्सेदारी 72.15 फीसदी है, का विलय जेपी एसोसिट्स के साथ 1:1 के अनुपात में हुआ।
जेपी होटल्स का शुध्द मुनाफा 17.5 फीसदी और राजस्व 167 करोड़ रुपये रहा। हालांकि इनकेसाथ दो पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई जेपी सीमेंट और गुजरात अंजान सीमेंट के विलय से इसकी कमाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कुल मिलाकर इसमें जेपी का इक्विटी डाइल्यूशन 8 फीसदी केकरीब रहा जो कि अधिक नहीं है।