तेजी से बदलते कारोबारी माहौल में प्रासंगिक बने रहने के लिए कंपनियों के निदेशक मंडल (बोर्ड) को अक्सर तकनीकी प्रगति अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल बदलाव जैसे नवाचार बेहद क्रांतिकारी पहल है लेकिन ब्लॉकचेन जैसे अन्य नवाचारों को अभी व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है।
अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि रोबोटिक प्रक्रिया स्वचालन या वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी (वीआर/एआर) का प्रभाव कुछ उद्योगों पर पड़ सकता है। इसके अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), 5जी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में भविष्य के प्रतिस्पर्धी परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। ऐसे में यह जरूरी है कि कंपनियां इस क्षेत्र में हो रहे विकास पर नजर रखें।
साइबर सुरक्षा और गोपनीयता कानून के क्षेत्र में हो रही हलचल पर भी कंपनियों का ध्यान है ताकि इससे जुड़े जोखिम कम किए जा सकें। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) पर सबकी निगाहें हैं जो अवसर और चुनौतियां दोनों पेश करता है। ऐसे दौर में कंपनियों के लिए अहम है कि वे बदलते तकनीकी परिदृश्य में प्रभावी ढंग से इनका समाधान निकाल सकें।
एआई एक बड़ी परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में सामने आई है जो पूरे उद्योग और व्यापार मॉडल को नया स्वरूप देने में सक्षम है। इस वक्त कंपनियों के बोर्ड एआई को अपनाने की जरूरतों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं और उन्हें अपनी सोच में भी इसकी तेज वृद्धि के अनुरूप ही तालमेल रखने की जरूरत है।
मानव बुद्धिमता की तर्ज पर ही संज्ञानात्मक स्तर काम करने वाली मशीनी क्षमता यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस अब भी दूर का लक्ष्य है। मौजूदा एआई में चैट जीपीटी, कंप्यूटर विजन और सुधार करने वाले एल्गोरिद्म जैसी मशीन शामिल हैं। इस लेख में ‘एआई’ का प्रयोग उन मौजूदा तकनीकों के लिए संक्षिप्त नाम के रूप में किया गया है जिसके तहत मशीन, पारंपरिक रूप से मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले काम को पूरा करने में सक्षम होते हैं।
प्रभावी निरीक्षण का दौर इससे जुड़ी जानकारी से शुरू होती है। कंपनी के सदस्यों को एआई की अवधारणा, उसकी क्षमता और सीमाओं की आधारभूत समझ विकसित करनी चाहिए। इसे बाहरी विशेषज्ञों को शामिल किए जाने या प्रबंधन टीम के भीतर आंतरिक संसाधनों का लाभ उठाकर विभिन्न माध्यमों से हासिल किया जा सकता है। एआई से जुड़े कानूनी पहलू और नियामक परिदृश्य के बारे में जानकारी रखना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
भारत में एआई के इस्तेमाल से जुड़े नियमन के लिए कोई विशेष कानून नहीं हैं, लेकिन वह नवाचार और इससे जुड़े जोखिम के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। इस संदर्भ में नीति आयोग द्वारा प्रकाशित कम से कम तीन शोध पत्र और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सात विशेषज्ञ समूहों द्वारा लिखा एक अन्य शोध पत्र का उल्लेख किया जा सकता है। यूरोपीय संघ के नियमों सहित कुछ अन्य नियम भी कंपनी बोर्ड के लिए तैयार मानकों के अनुरूप काम करने में मददगार साबित होंगे।
हालांकि, केवल इससे वाकिफ होना ही पर्याप्त नहीं है। कंपनी को अपनी एआई से जुड़ी समझ को कंपनी के भीतर कार्रवाई किए जाने योग्य रणनीतियों में बदलना चाहिए। इसमें व्यापार, कानून एवं प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों वाली विभिन्न टीमों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना भी शामिल है। ये टीमें एआई पर अमल के लिए एक प्रारंभिक ढांचा विकसित करने के साथ ही उन क्षेत्रों की पहचान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जहां एआई कारोबारी प्रक्रियाओं को बढ़ा सकता है और क्षमता में सुधार कर सकता है। इसके साथ ही यह जोखिमों का आकलन और उद्योग के रुझानों की निगरानी भी करता है।
एक मजबूत एआई बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए तकनीकी कौशल से कहीं अधिक चीजों की आवश्यकता होती है। इसके लिए उच्च-गुणवत्ता वाला डेटा सबसे अहम है। एआई एकीकरण की यात्रा में दोहराव होता है और इस प्रगति की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। कंपनी बोर्ड की तिमाही समीक्षा, जांच बिंदुओं के रूप में काम करती है जिसमें एआई से जुड़ी पहल की प्रभावशीलता और रणनीतिक उद्देश्यों की एकरूपता का आकलन किया जा सकता है। ये समीक्षा, सुधार के अवसर देती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि एआई कंपनियों का मूल्यवर्धन करते रहें।
इन प्रयासों के बावजूद, चुनौतियां बनी हुई हैं। इसमें एक प्रमुख चिंता एआई की तेजी से हो रही प्रगति और कंपनी बोर्ड की इसे प्रभावी ढंग से देखने की क्षमता के बीच बढ़ती खाई है। एआई शायद कॉरपोरेट बोर्ड की जगह नहीं ले सकते हैं और इसकी बदलाव लाने वाली क्षमता से कंपनियों के सदस्यों को सक्रिय तौर पर जुड़ने की आवश्यकता होती है।
मैकिंजी वैश्विक सर्वेक्षण ने वर्ष 2023 को एआई के लिए अहम वर्ष बताया और विशेषतौर पर इस बात का जिक्र किया कि कई एआई टूल के शुरू होने के एक वर्ष से भी कम समय में ही सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले करीब एक-तिहाई लोगों ने कम से कम एक व्यावसायिक कामों में जेनेरेटिव एआई टूल का नियमित इस्तेमाल करने की जानकारी दी।
हाल में फाइनैंशियल टाइम्स के एक लेख में यह संख्या 75 प्रतिशत बताई गई। अध्ययन में इस बात का जिक्र किया गया है कि एआई पहले से ही एक-चौथाई से अधिक कंपनियों के बोर्ड के एजेंडे में शामिल है। इसके अलावा, सर्वेक्षण में 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके संगठन समग्र रूप से एआई में अपना निवेश बढ़ाएंगे।
इस तरह के रुझान से अंदाजा मिलता है कि आजकल कंपनियों के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे एआई की क्षमता को पहचाने क्योंकि इसमें न सिर्फ कारोबार और उद्योग के पुराने तरीकों में बदलाव लाने बल्कि उन्हें और बेहतर बनाने की क्षमता है। इसीलिए कंपनियों के बोर्ड के लिए यह समझना अहम है कि एआई से जुड़े बदलावों को अपने क्षेत्र के लिए कैसे अपनाया जाए।
कंपनियों के लिए सिर्फ तकनीक के बारे में सोचना काफी नहीं है बल्कि यह भी ध्यान रखना होगा कि एआई का इस्तेमाल सही और ईमानदार तरीके से हो। एआई जब कंपनियों के कारोबारी परिचालन से ज्यादा जुड़ेगा तब मुमकिन है कि ये सवाल उठेंगे कि क्या ये सही फैसले ले रहा है, इसका जिम्मेदार कौन होगा और इसमें पारदर्शिता है या नहीं आदि। कंपनी की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करने की है कि एआई का इस्तेमाल सही तरीके से किया जा रहा है और यह कंपनी के मूल्यों के अनुरूप है।
एआई कंपनियों के लिए एक नए दौर का प्रतिनिधित्व कर रहा है और इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि कंपनियों को अपने काम करने के तरीके में बदलाव लाना होगा। कंपनियां अगर एआई के बारे में सीखती हैं, दूसरों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं, और नियमों का पालन करते हुए डेटा प्रबंधन तथा लगातार आकलन करती हैं तब वे एआई का इस्तेमाल अच्छी तरह कर सकती हैं। एआई के इस दौर में व्यापक और ईमानदार तरीके से इसका इस्तेमाल कर कंपनियां भविष्य में टिकाऊ सफलता के लिए कदम बढ़ा सकती हैं।
(लेखक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड से जुड़े हैं।
ये उनके निजी विचार हैं)