मराठी फिल्म ‘आमी सतपुत’ में सातों भाई अपने फार्महाउस के उत्पादों को बाजार में ले जाने के लिए टाटा ट्रक का इस्तेमाल करते हैं।
ढाबे वाला भी अन्नपूर्णा ब्रांड के आटे से ही रोटियां बनाता हैं। हैरान होने की जरूरत नहीं है, अब कॉर्पोरेट जगत ने अपने उत्पादों के प्रचार के लिए क्षेत्रीय फिल्मों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है।
अमिताभ बच्चन और हेमामालिनी अभिनीत ‘सत्ते पे सत्ता’ से प्रेरित ‘आमी सतपुते’ ब्रांडों को प्रमोट करने वाली पहली मराठी फिल्म है। फिल्मों में ब्रांड प्लेसमेंट के बारे में फिल्म के निर्देशक सचिन पिलगांवकर ने बताया ‘हमारी फिल्म में चुनिंदा ब्रांडों को प्रमोट करना सोची समझी नीति थी। हमारा अनुभव यह कहता है कि कंपनियां भी फिल्मों से जुड़ना चाहती हैं, बशर्ते उन्हें प्रोजेक्ट अच्छा लगे।’
लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बनी इस फिल्म में टाटा मोटर्स के साथ दैनिक उपभोक्ता सामान बनाने वाली अग्रणी कंपनी हिंदुस्तान युनीलीवर लिमिटेड और स्थानीय मसाला ब्रांड प्रवीण मसाले को भी फिल्म में प्रमोट किया गया है।
टाटा मोटर्स के उपाध्यक्ष (बिक्री और विपणन) ने बताया कि महाराष्ट्र ऐस के लिए तीन सबसे बड़े बाजारों में से एक है। फिल्म में ट्रक को काफी महत्व दिया गया है।इससे कंपनी ज्यादा आसानी से लक्षित जनसमूह तक पहुंच सकेगी। टाटा मोटर्स और हिंदुस्तान युनीलीवर लिमिटेड अपने उत्पादों के प्रमोशन के लिए टीवी कॉमर्शियल और ट्रेलर की भी मदद ले रही हैं। हिंदुस्तान युनीलीवर के प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी इस फिल्म के मराठी चैनलों पर होने वाले को-प्रमोशन में भी मदद करेगी।
बॉलीवुड पर फिल्मों में ब्रांडों को दिखाने का चलन तो पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन अब यह चलन क्षेत्रीय फिल्मों पर भी हावी होता रहा है। स्टारकॉम इंटरटेनमेंट के महाप्रबंधक (इंडिया) प्रणय अंथवाल ने बताया कि इस साल कंपनियां क्षेत्रीय फिल्मों के साथ मार्केटिंग समझौते कर रही हैं।
भोजपुरी और मराठी फिल्मों की लोकप्रियता के साथ ही क्षेत्रीय फिल्मों में कॉर्पोरेट जगत की रुचि भी बढ़ी है। पश्चिम बंगाल में भी इस तरह के समझौतों की काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं। क्षेत्रीय फिल्मों के साथ जुड़ने से ब्रांड लक्षित जनसमूह तक ज्यादा प्रभावशाली तरीके से पहुंच जाती है। अंथवाल ने कहा कि ‘क्षेत्रीय फिल्मों में ब्रांड प्लेसमेंट के लिए 4-8 लाख रुपये खर्च आता है, जबकि एक बॉलीवुड फिल्म में ब्रांड प्लेसमेंट के लिए लगभग 40 लाख का खर्च आता है।’
नई लहर
अब भोजपुरी और मराठी फिल्मों के जरिये भी अपने प्रोडक्ट्स का प्रचार कर रही हैं बड़ी कंपनियां
क्षेत्रीय फिल्मों में प्रचार में खर्च होते हैं केवल 4 लाख रुपये, जबकि बॉलीवुड फिल्म में होता है 40 लाख रु. का खर्च