आशीष कपूर की उम्र 38 साल है और वह अब भी चेन्नई की एक स्थानीय लीग के लिए क्रिकेट खेल रहे हैं।
वह घरेलू क्रिकेट खेलने के अलावा 1996 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और कुछ टेस्ट मैच भी खेल चुके हैं। स्पिन गेंदबाजी का यह धुरंधर दिल्ली डेयरडेविल्स मैनेजमेंट के थिंक टैंक का अहम हिस्सा है।
घरेलू क्रिकेट के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में शुमार कंवलजीत सिंह (41) को राष्ट्रीय टीम में अपना जलवा दिखाने का कभी मौका नहीं मिला। वह कभी हैदराबाद रणजी टीम के कोच हुआ करते थे, लेकिन अब डेक्कन चार्जर्स में सहायक कोच जैसी अहम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
क्रिकेट की दुनिया में इन लोगों से ज्यादा मशहूर रहे कृष्णमाचारी श्रीकांत चेन्नई सुपरकिंग्स के ब्रैंड एंबैसडर है, जबकि मशहूर लेग स्पिनर बी. चंद्रशेखर (इस टीम के हेड कोच) को तो आईपीएल में जिम्मेदारी मिलनी पहले से ही तय थी, लेकिन इस शहर में होने वाले आईपीएल मैचों से सबसे ज्यादा फायदा कपूर और सिंह जैसे लोगों को ही पहुंचा है।
कपूर 5 घरेलू टीमों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं और चेन्नई में अब भी जमकर क्रिकेट खेलते हैं। उनका कहना है कि आईपीएल में वरिष्ठ खिलाड़ियों की मदद क्रिकेटरों के लिए एक अच्छा संकेत है। वह कहते हैं कि ऐसे अनुभवी खिलाड़ियों की कमी नहीं है, जो इन टीमों की मदद के लिए बुलाने पर खुशी-खुशी पहुंच जाएंगे।
सिंह इसकी ताजा मिसाल हैं। हैदराबाद के लिए 10 साल तक खेलने और 5 साल तक इस टीम का कोच रहने के बाद अब उन्हें कोचिंग और प्रतिभाओं की पहचान करने का पर्याप्त अनुभव प्राप्त हो गया है।
हालांकि, आईपीएल की ज्यादातर टीमों ने विदेशी या नामीगिरामी खिलाड़ियों को अपना कोच नियुक्त किया है। मसलन बेंगलुरु की टीम के कोच मार्टिन क्रो हैं, जबकि कोलकाता टीम के कोच जॉन बचनान हैं। लेकिन आईपीएल द्वारा टीम में स्थानीय खिलाड़ियों को जरूर शामिल करने का प्रावधान किए जाने के मद्देनजर सिंह और कपूर जैसे खिलाड़ियों की भी जरूरत काफी शिद्दत के साथ महसूस की जा रही है।
सिंह कहते हैं कि हमें स्थानीय प्रतिभाओं के बारे में काफी कुछ पता होता है और हम इन टीमों के लिए बेहतरीन स्थानीय प्रतिभाओं को ढूंढ़ने में सक्षम होंगे।