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आने वाला कल

Last Updated- December 06, 2022 | 12:03 AM IST

देश में लगातार परवान चढ़ रही महंगाई दर (मुद्रास्फीति) के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा वित्त वर्ष 2008-09 के लिए आखिरी मौद्रिक नीति का ऐलान कल (29 अप्रैल को) किया जाएगा।


इससे पहले इस साल जनवरी में मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा पेश करते वक्त आरबीआई के गवर्नर वाई. वी. रेड्डी ने साफ तौर पर कहा था कि महंगाई दर पर काबू पाना रिजर्व बैंक की मुख्य चिंता है। इसी वजह से उस वक्त रेपो रेट को जस का तस रखा गया था, बावजूद इसके कि औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही थी।


तब से लेकर अब तक महंगाई दर में लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा है और पिछले लगातार 4 हफ्तों से यह 7 फीसदी से ज्यादा है। इस वजह से रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा को लेकर बहस और तेज हो गई है और सबकी निगाहें इसी ओर टिकी हैं कि आखिरकार आरबीआई इस बार किस तरह के कदम उठाने जा रहा है।


इस बार बहस का विषय यह नहीं है कि आरबीआई रेपो रेट में कटौती करेगा या नहीं, बल्कि विमर्श इस बात पर ज्यादा है कि रेपो रेट मे बढ़ोतरी की जाएगी या नहीं। 17 अप्रैल को कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में 50 बेसिस पॉइंट (0.50 फीसदी) की बढ़ोतरी कर इस पूरे मामले में आरबीआई पहले ही अपना इरादा जाहिर कर चुका है।


अब चर्चा इस बात पर हो रही है कि क्या आरबीआई सीआरआर में बढ़ोतरी को ही पुख्ता कदम मान रहा है या फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी करने की भी उसकी मंशा है।ऐसे हालात में रिजर्व बैंक द्वारा उठाया जाने वाला कदम महंगाई दर को केंद्र में रखकर तय किया जाता है, भले ही इससे कुछ वक्त के लिए विकास दर पर बुरा असर ही क्यों न पड़े।


सबसे बुरी स्थिति तब पैदा हो सकती है जब रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाए और उससे विकास दर की हालत उससे भी बुरी हो जाए, जितनी उम्मीद की जा रही है।सरकार ने महंगाई दर पर काबू के लिए हाल में कुछ कदम उठाए हैं। टैरिफ रेट का कम किया जाना और निर्यात पर पाबंदी जैसे कुछ कदमों का असर आने वाले हफ्तों में दिखेगा और इससे जाहिर तौर पर महंगाई दर पर से दबाव थोड़ा कम होगा।


यहां यह भी राहत की बात हो सकती है कि खाद्य पदार्थों (खासतौर पर दाल और खाने के तेल) और धातुओं (खासकर लोहा और स्टील) की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी पर लगाम लगी है और इनके दामों में कमी दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों के कम होने और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से ऐसा हो पाया है।


आने वाले दिनों में हालात अच्छे होने की एक और उम्मीद इस बात से भी जगी है कि इस बार सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की गई है।इन चीजों के मद्देनजर अच्छा यह होगा कि आरबीआई रेपो रेट को जस का तस रहने दे। यदि रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई, तो इससे विकास दर पर बेहद बुरा असर पड़ेगा।

First Published - April 28, 2008 | 2:47 PM IST

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