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अव्यावहारिक मांग

Last Updated- December 15, 2022 | 7:51 AM IST

दूरसंचार विभाग ने सभी मोबाइल उपकरण निर्माताओं और दूरसंचार नेटवर्क उपकरण आपूर्तिकर्ताओं को सभी उपकरणों के सोर्स कोड विभाग के साथ साझा करने का जो प्रस्ताव रखा है वह कई मायनों में सुविचारित नहीं है। उद्योग जगत इसका विरोध कर रहा है जो उचित ही है। जानकारी के मुताबिक विभाग ने यह सुझाव भारतीय दूरसंचार सुरक्षा आश्वासन आवश्यकताओं (आईटीएसएआर) के मसौदे के प्रोटोकॉल के तहत दिया है। इस मसौदे पर एक वर्ष से चर्चा चल रही है। दूरसंचार विभाग चाहता है कि जो भी नेटवर्क उपकरण और अन्य उपकरण उसे आपूर्ति किए जा रहे हैं, उनका सुरक्षा प्रमाणन हो। इसमें तीसरे पक्ष द्वारा जांच भी शामिल है। माना जा रहा है कि नेटवर्क में घुसपैठ रोकने के लिए ऐसा किया जा रहा है। चीन की कंपनी हुआवे खासतौर पर ऐसे आरोपों के घेरे में है। सुरक्षा में कोई भी चूक जो अनजाने में हो या जानबूझ कर की गई हो, हैकर या अन्य बुरे तत्त्व उसका फायदा उठा सकते हैं।
दुनिया भर में केवल चंद वैश्विक नेटवर्क उपकरण आपूर्तिकर्ता हैं और वे सभी सोर्स कोड देने की बात से काफी नाखुश हैं। उन्हें 12 से 16 सप्ताह का परीक्षण और प्रमाणन की बात से भी आपत्ति है। सोर्स कोड मुहैया कराने से बौद्धिक संपदा को खतरा उत्पन्न हो सकता है क्योंकि इसके बाद उपकरण में फेरबदल करना आसान होता है। प्रमाणन की प्रक्रिया भी उचित नहीं है। यहां तक कि ऐसे उपकरण जो प्रमाणित हैं, उनमें भी जोखिम हो सकता है। जोखिम का संबंध नेटवर्क प्रणाली से जुड़ाव से है। स्पष्ट है कि हर हैंडसेट मॉडल के लिए सोर्स कोड की मांग करना उचित नहीं है। कोई राष्ट्रीय एजेंसी उसकी मांग नहीं करती। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी जैसी एजेंसियां हैंडसेट की व्यापक जांच करती हैं। प्रमाणन की लंबी प्रक्रिया भी वाणिज्यिक रूप से सही नहीं है। नेटवर्क उपकरण समेत सभी ऑपरेटिंग सिस्टम उन्नत किए जा सकते हैं, और भविष्य में कोई कमी उत्पन्न होने पर विनिर्माता सोर्स कोड में सुधार करके उसे दूर करता है। मोबाइल फोन के नए मॉडल बहुत कम अंतराल पर लॉन्च होते हैं और बिक्री के बाद उन्हें उन्नत  किया जाता है। हालांकि सबसे लोकप्रिय ऐंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन सोर्स है लेकिन हर निर्माता अलग-अलग हार्डवेयर और कैमरा आदि की सेटिंग के लिए उनमें कुछ बदलाव करता है। ऐपल आईफोन के लिए जिस आईओएस का प्रयोग करता है वह ओपन सोर्स नहीं है। कंपनी ने डेवलपरों को ऐप बनाने में मदद के लिए सोर्स कोड की एक वेबकिट लॉन्च की है।
प्रमाणन प्रक्रिया से इस प्रक्रिया में देरी होगी और अगर उन्नयन के पहले भी जांच और प्रमाणन हुआ तो समय लगना तय है। मोबाइल का सोर्स कोड जारी करने से मॉडल की सुरक्षा को खतरा हो सकता है साथ ही निर्माता की बौद्धिक संपदा को भी। उस मॉडल के सभी उपयोगकर्ताओं की निजता प्रभावित हो सकती है खासतौर पर अगर जांच में तीसरे पक्ष को शामिल किया गया। उद्योग जगत इस बात से नाखुश है क्योंकि इससे नए हैंडसेट जारी करने में बाधा उत्पन्न होगी। ऐसे प्रस्ताव आमतौर पर सुरक्षा बढ़ाने की आड़ में रखे जाते हैं लेकिन यह प्रस्ताव हकीकत से दूर है। इससे नेटवर्क या हैंडसेट सुरक्षित नहीं बल्कि असुरक्षित होंगे। इससे देरी भी बढ़ेगी। मौजूदा कानून पहले ही यह तय करते हैं कि विनिर्माता और दूरसंचार सेवा प्रदाता सरकारी एजेंसियों के जांच अनुरोध का मान रखें। यदि किसी खास हैंडसेट का डेटा चाहिए या किसी नेटवर्क को सुरक्षित करना है तो इसके लिए विनिर्माता से कहा जा सकता है। ऐसा हुआ भी है। परंतु ऐसे अनुरोध हमेशा किसी खास उद्देश्य ये किए जाते हैं। सभी उपकरणों के सोर्स कोड की मांग उचित नहीं है। दूरसंचार विभाग को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

First Published - June 28, 2020 | 11:38 PM IST

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