उत्तर प्रदेश में कोरोना के साथ ही अब ब्लैक फंगस का कहर तेज हो गया है। प्रदेश के ज्यादातर बड़े शहरों में इसके मरीज मिल चुके हैं जबकि इलाज के लिए दवाओं की किल्लत जारी है। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले लाइपोसोमल ए फोटेरीसीन इंजेक्शन की कमी मरीजों की जान ले रही है। सरकारी नियंत्रण में होने के चलते निजी मेडिकल स्टोरों पर ब्लैक फंगस की दवाएं नहीं मिल रही हैं। हालांकि मांग को देखते हुए मेडिकल स्टोर संचालकों ने इसे मंगाने की कोशिश की है पर निर्माता कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
राजधानी लखनऊ में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दिए जाने वाले इंजेक्शन के वितरण का काम रेडक्रॉस सोसायटी को सौंपा गया है पर वहां मांग के मुकाबले दस फीसदी भी स्टाक नहीं है। रेडक्रॉस का कहना है कि राजधानी में ही 1260 इंजेक्शन की मांग है जबकि उन्हें 140 ही मिले हैं जिसके चलते अधिकांश मरीजों के तीमारादारों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। उनका कहना है कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए मरीज को एक दिन में कम से कम तीन से छह इंजे सन की डोज दी जाती है और तीन दिन में ही 18 इंजेक्शन की जरुरत पड़ती है।
बीते दो दिनों में राजधानी लखनऊ में चार लोगों की मौत ब्लैक फंगस से हो गई है। अब तक इस बीमारी से लखनऊ में 20 मौतें हो चुकी हैं। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति के मुताबिक अभी तक यहां ब्लैक फंगस के 159 मरीज भर्ती हुए हैं।
महाराष्ट्र के 18 जिलों को राहत
महाराष्ट्र सरकार ने अधिक संक्रमण दर वाले 18 जिलों में कोविड-19 मरीजों के गृह पृथक-वास में रहने पर रोक लगाने का फैसला किया है। इन क्षेत्रों के मरीजों को कोविड देखाभल केंद्र में भर्ती किया जाएगा। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने मंगलवार को यह जानकारी दी। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के कुल 36 जिलों में सतारा, सिंधदुर्ग, रत्नागिरी, उस्मानाबाद, बीड, रायगढ़, पुणे, हिंगोली, अकोला, अमरावती, कोल्हापुर, ठाणे, सांगली, गढ़चिरौली, वर्धा, नासिक, अहमदनगर और लातूर में औसत संक्रमण दर अधिक है। आमतौर पर बिना लक्ष्ण वाले और हल्के कोरोनावायरस संक्रमण वाले मरीजों को घर में ही पृथक-वास में रहने की सलाह दी जाती है। टोपे ने कहा कि राज्य में फिलहाल कोविड-19 के 3,27,000 मरीज उपचाराधीन हैं और स्वस्थ होने की दर 93 फीसदी है जबकि मृत्यु दर 1.5 फीसदी है। हालांकि, 18 जिलों में संक्रमण की दर राज्य के औसत से अधिक करीब 12 फीसदी है। भाषा