कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र सरकार ने उद्योग को बढ़ावा देने की रफ्तार तेज कर दी है। राज्य में नए उद्योगों की स्थापना और निवेश आकर्षित करने के लिए उद्योग नीति को सरल किया जाएगा। उद्योगों को स्थापित करने में दी जाने वाली अनुमति (लाइसेंस) की संख्या कम करने के साथ निजी कंपनियों की एक समिति तैयार की जाएगी जो राज्य में निवेश लाने में मददगार होगी। आर्थिक तौर पर राज्य को मजबूत बनाने के लिए चीनी कंपनियों के निवेश और कारोबार से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।
महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना के भय और लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की चिंता छोड़कर आगे बढ़ने की नीति अपनानी शुरु कर दी है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने निजी इक्विटी फर्मों और कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की । इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में दोबारा आर्थिक चक्र शुरू हो चुका है, कंपनियों को बेहतरीन सहुलियतें दी जा रही हैं। निवेश और उद्योग स्थापित करने की नीति को सरल बनाने की जरुरत है जिसके लिए अनावश्यक लाइसेंसों की अनिवार्यता को खत्म किया जाना चाहिए। उद्योग जगत को राज्य में अनुकूल माहौल मिले, इसके लिए निजी निवेशकों की एक समीति तैयार की जाएगी जो अपनी बात सीधे तौर पर सरकार से कह सकती है। साथ ही सिंगल विंडो योजना को लागू करने की दिशा में भी काम शुरु किया गया है। उन्होने निवेश फर्मों से अपील करते हुए कहा कि वह निवेशकों को राज्य में निवेश करने की सलाह दे।
निजी निवेश सलाहकार एंजेसियों के साथ हुई बैठक में मौजूद महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि महाराष्ट्र में निवेश की सबसे सरल नीति तैयार की गई है। उद्योगों के अनुकूल नीति को अपनाते हुए निवेश और उद्योग स्थापित करने के लिए 76 अनुमतियों (लाइसेंस) की संख्या घटाकर 25 कर दी गई है। सरकार आगे भी निवेश सलाहकारों की सलाह मानेगी और उनकी सलाहों पर अमल करने की कोशिश की जाएगी। मुंबई के पास एक मॉडल फार्मा पार्क स्थापित किया जा रहा है। इसके साथ ही नई तकनीक पर आधारित एक इलेक्ट्रॉनिक पार्क भी स्थापित किया जा रहा है। यह उद्योग विकास की सिर्फ शुरुआत है। उन्होने उद्योग जगत को भरोसा दिलाते हुए कहा कि हम सभी के समर्थन के साथ लंबी दूरी तक पहुंचना चाहते हैं ।
चीनी कंपनियों के निवेश पर महाराष्ट्र सरकार ने एक बार फिर अपना मन बदलते हुए होल्ड पर रखे करार को हरी झंडी दिखा दी है। चीनी सेना के साथ हुई झडप में जवानों की शहादत के बाद राज्य सरकार ने तीन चीनी कंपनियों के साथ किए 5,000 करोड़ के करार को होल्ड पर रखा था, लेकिन दोनों देशों के बीच हो रही सकारात्मक बातचीत और तनाव कम होने से राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट आगे बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं आने की उम्मीद जताई। राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने बताया कि पहले की स्थिती और आज की स्थिती में अंतर है। हमें आज सुबह ही पता चला कि दोनों देश की बीच हालात सुधर रहे हैं। हमें विश्वास है कि आर्थिक करार को आगे बढ़ाने में भविष्य में कोई समस्या नहीं होगी और हम ये करार आगे ले जा सकेंगे।
कोरोना से बने आर्थिक संकट से उबरने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 15 जून को मुंबई में हुए ‘मैगनेटिक महाराष्ट्र 2.0’ इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया था। इसमें सरकार ने तीन चीनी कंपनी, ग्रेट वॉल मोटर्स, पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी और फोटोन और हेल्गी इंजीनियरिंग के साथ करार किया था। भारत सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत की खबर आई तो महाराष्ट्र सरकार ने देशहित में ये करार आगे नहीं ले जाने का निर्णय लिया था ।
राज्य सरकार की तरफ से उस समय एक विज्ञप्ति जारी करके कहा था कि ये तीनों करार गलवान घाटी में हमारे जवानों पर हुए हमले से पहले हुए थे। जवानों की शहादत के बाद केंद्र सरकार से सलाह मशविरा करके हमने इस प्रोजेक्ट को होल्ड करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से भविष्य में चीनी कंपनियों के साथ कोई भी करार नहीं करने की सूचना दी है। हम इस मामले पर केंद्र सरकार के साथ हैं।