दो दिन पहले 12 अक्टूबर को पवार ग्रिड फेल होने के कारण मुंबई की बिजली गुल हो गई थी। मुंबई और आसपास के इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप होने से लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। महाराष्ट्र और केंद्र सरकार ने उसी दिन इस घटना के जांच के आदेश दे दिए थे। अभी तक इसे तकनीकि खराबी बताया जा रहा था लेकिन आज महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने पावर ग्रिड फेल होने के पीछे किसी साजिश का अंदेशा जता कर पूरे मामले पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राउत ने बुधवार को कहा कि दो दिन पहले मुंबई में बिजली आपूर्ति ठप होने की घटना किसी के द्वारा जानबूझकर की गई हरकत हो सकती है। राउत ने संवाददाताओं से कहा कि महानगर तथा ठाणे और नवी मुंबई में बिजली आपूर्ति ठप होना कोई छोटा मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि हम 400 केवी कलवा-पड़घा लाइन पर काम कर रहे थे और लोड को सर्किट एक से दो पर स्थानांतरित किया गया था। लेकिन कुछ तकनीकी समस्या के कारण खारगर इकाई बंद हो गई। मुंबई में आइलेंडिंग हुई जो नहीं होना चाहिए था। राउत ने कहा कि इसीलिए हमें आशंका है कि किसी ने जानबूझकर यह काम किया।
पावर ग्रिड फेल होने की घटना की पूरी जांच के आदेश मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 12 अक्टूबर को ही दे दिए थे। महाराष्ट्र सरकार को बिजली गुल करने के पीछे साइबर अटैक की अंदेशा लग रही है। इसीलिए नितिन राउत इस मुद्दे पर खुलकर बोलते हुए कहते हैं कि बिजली आपूर्ति ठप होने के पीछे हम किसी संजिश होने से इनकार नहीं कर सकते हैं। राउत ने कहा कि एक तकनीकी समिति बनाई जा रही है। वे एक तकनीकी ऑडिट करेंगे जिसमें यह जांचा जाएगा कि वहां गड़बड़ी हुई थी या नहीं और इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं। एक सप्ताह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट आ जाएगी। फिर अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए केंद्र सरकार का एक तकनीकी दल यहां है और जांच समिति भी बनाई जाएगी। मंत्री ने कहा कि केंद्र का दल एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। उन्होंने कहा कि 2011 हुई इस प्रकार की घटना की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया जाएगा।
गौरतलब है कि पावर ग्रिड फेल होने के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने भी जांच के आदेश दिए हैं और उसके लिए एक केंद्रीय तकनीकि दल का गठन किया है जो इस समय पूरे मामले की जांच राज्य सरकार के साथ मिलकर कर रहा है। सोमवार को बिजली आपूर्ति बाधित होने के मुंबई, ठाणे और पालघर जिले में कामकाज ठप पड़ गया था।