बुनियादी ढांचा विकसित करने वाली विदेशी कंपनियों ने कानपुर में मौजूद उद्योगों से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए सहायता मुहैया कराने की पेशकश की है।
चमड़ा उद्योग और गुटखे के पाउच से निकलने वाले कचरे में क्रोमियम की काफी मात्रा मौजूद होती है। यह पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक साबित होती है। इन कंपनियों को आने वाले महीनों में इन नुकसानदायक तत्वों को बेहतर तरीके से खत्म करने में मदद मिलेगी।
इस योजना को जवाहर लाल नेहरू नैशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम)के जरिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इस योजना के लिए कानपुर जल निगम केंद्रीय एजेंसी के तौर पर काम करेगी।
एक फ्रांसीसी कंपनी एटूजेड इन्फ्रास्ट्रक्चर जल निगम के निर्माण और डिजाइन विभाग के साथ मिलकर शहर के बाहरी क्षेत्र में लगभग 46 एकड़ भूमि पर ठोस कचरा प्रसंस्करण इकाई लगा रही है। एटूजेड ने सफलता पूर्वक औद्योगिक कचरे से कोयला और प्लास्टिक के उत्पाद बनाए हैं।
उम्मीद है कि कंपनी जुलाई से इस तकनीक का व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू करेगी। कंपनी के कार्यकारी निदेशक रजनीश मेहरा ने बताया कि निर्माण का लगभग 25 फीसदी काम पूरा हो चुका है। इस संयंत्र का काम शुरू होने से शहर के कारोबारियों को औद्योगिक कचरे से भी कमाई करने का विकल्प मिलेगा। उन्होंने बताया, ‘हमारी योजना इस कचरे से प्लास्टिक एक्सेसरीज , ईंधन उत्पाद और सस्ती ईंट बनाने की है।’
कानपुर देश का पहला शहर बन गया है जहां जेएनएनयूआरएम के तहत पहला ठोस कचरा प्रसंस्करण इकाई लगाई गई है।
जल निगम के महाप्रबंधक डी पी सिंह ने बताया कि शहर में लगभग 1500 मीट्रिक टन ठोस कचरे का उत्पादन होता है। ठोस कचरा प्रसंस्करण इकाई से क्रोमियम कचरा देने वाले चमड़ा उद्योग और प्राकृ तिक तरीके से नहीं सड़ने वाले कचरे का उत्पादन करने वाले पान मसाला उद्योग को काफी राहत मिलेगी।
उन्होंने बताया कि परीक्षण में पता चला है कि एक खास तरह का पाउडर मिलाकर कचरे को जलाने से उससे निकलने वाली ऊर्जा बढ़ जाती है। जिसके बाद इसे एक अच्छे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
कंपनी कचरे से इस्तेमाल लायक ईंधन बनाने के लिए निजी संयंत्र लगाने की योजना भी बना रही है। इसका इस्तेमाल कर लोगों को पारंपरिक तरीके से बनने वाली बिजली के मुकाबले सस्ती ऊर्जा की आपूर्ति की जाएगी।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘अभी परियोजना शुरुआती दौर में है इसीलिए इस बारे में अभी कुछ भी कहना मुमकिन नहीं है।’