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उत्तर प्रदेश के कारीगरों का हुनर निखारेंगे फैशन डिजाइनर

Last Updated- December 12, 2022 | 10:52 AM IST

उत्तर प्रदेश के खादी, चिकन और रेशम कारीगरों का हुनर निखारने में देश के नामी फैशन डिजाइनर मदद करेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल शिल्पकारों व कारीगरों का हुनर निखारने के लिए देश के मशहूर फैशन डिजाइनर जेजे वाल्या, रीना ढाका, ऋतु बेरी और मनीष मलहोत्रा आगे आए हैं। ये डिजाइनर ओडीओपी में शामिल शिल्प कलाकारों को पैकेजिंग, ब्रान्डिंग, मार्केटिंग, नई तकनीक के गुर सिखाएंगे। फैशन डिजाइनर उत्तर प्रदेश के शिल्पकारों को न केवल बदलते जमाने के हिसाब से तकनीक आधारित ज्ञान देंगे, बल्कि उन्हें अपने उत्‍पाद की आकर्षक पैकेजिंग, ब्रान्डिंग और मार्केटिंग सिखाने के साथ-साथ बाजार भी मुहैया कराएंगे। कई प्रतिष्ठित फैशन डिजाइनरों ने योगी सरकार के साथ मिलकर शिल्पकारों को प्रशिक्षण देने की पहल की है।
मशहूर फैशन डिजाइनर रीना ढाका ने प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल से मुलाकात कर शिल्पकारों के लिए काम करने का प्रस्ताव रखा है। रीना ढाका के मुताबिक हाल के दिनों में फैशन उद्योग में खादी के कपड़ों की खासी मांग देखने को मिली है और आज तमाम बड़ी कंपनियां खादी आधारित डिजाइनर कपड़े तैयार कर रही हैं, जिन्हें वैश्विक बाजार में हाथों-हाथ लिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ओडीओपी के तहत अंबेडकर नगर, मऊ, इटावा, बाराबंकी के वस्त्र उत्पाद, बदायूं, कासगंज, शाहजहांपुर, चंदौली, बरेली, उन्नाव की जरी जरदोजी, भदोही, सोनभद्र व मिर्जापुर के कालीन, फर्रुखाबाद की वस्त्र छपाई, गौतमबुद्ध नगर के सिलेसिलाए वस्‍त्र, हारदोई के हथकरघा उत्पाद, जौनपुर के ऊनी कालीन, कुशीनगर का केला फाइबर, ललितपुर की जरी सिल्क साड़ी, लखनऊ की चिकनकारी और जरी जरदोजी, वाराणसी की रेशमी साडिय़ां जैसे तमाम उत्पाद हैं, जो थोड़ी कोशिशों से वैश्विक फैशन जगत में छा सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी ही तरह और भी डिजाइनर उत्तर प्रदेश के शिल्प को फैशन उद्योग की पहचान बनाना चाहते हैं।
अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया कि शिल्पकारों को आधुनिकता के लिहाज से जरूरी प्रशिक्षण दिलाने के लिए अलग-अलग स्तरों पर काम चल रहा है। फैशन उद्योग के नामचीन डिजाइनरों से भी इन्हें सलाह और निर्देशन मिलेगा जो न केवल इन्‍हें नई पहचान देगा, बल्कि शिल्पकारों को नया बाजार दिलाने में भी सहायक होगा।

First Published - December 18, 2020 | 12:41 AM IST

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