कोविड-19 महामारी से लडऩे में शहरों के लिए सबसे बड़ा सबक यह रहा कि डेटा तक पहुंच बना कर कारगर रणनीति बनाई जा सकती है। मुंबई ने महामारी की दूसरी लहर के प्रबंधन में सफलता पाई है और ‘मुंबई मॉडल’ दर्शाता है कि कैसे कोविड-19 जैसे भयावह संक्रमण से बचाव की लड़ाई में प्रौद्योगिकी अहम भूमिका निभा सकता है।
ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) यानी वृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को 24 वॉर्डों में बांटा गया। जब पहली बार 2020 में इस महामारी के कहर की शुरुआत हुई थी, उस समय देश भर में अधिकांश नगर निगमों की तरह बीएमसी भी कोविड-19 महामारी की निगरानी मैनुुअल तरीके से कर रहा था।
पूरा तंत्र कुछ इस तरह से काम कर रहा था कि मरीज से लेकर अस्पताल और दवा आवंटन तक का संग्रह कागजों पर हाथों से लिख कर ही एकत्र किया जा रहा था और फिर उसे गूगल शीट में डाला जा रहा था जिसमें कंट्रोल फीचर की कोई जगह न थी और इसमें 48 घंटे से अधिक का समय अंतराल होता था। बीएमसी ने यह महसूस किया कि उसे जल्दी से एक ऐसी तकनीक अपनाने की जरूरत है जो इन सभी डेटा को एक डैशबोर्ड जैसे सिस्टम में डाले जहां ताजातरीन डेटा को देखा जा सकेे।
अगस्त 2020 में बीएमसी ने एक प्रौद्योगिकी प्रदाता के तौर पर एक कंपनी क्वांटेला का चयन किया। क्वांटेला को एक्सेल/गूगल शीट पर बिना किसी गलती के डेटा एंट्री मैनुअल प्रक्रिया का डिजिटलीकरण कर कोविड-19 मरीज की पूरी स्थिति का प्रबंधन करना था जिसकी वजह से मरीजों की देखभाल में देरी हुई।
यह मंच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल और स्टेपवन (कोविड महामारी से बचाव में अपना योगदान देने वाले डॉक्टरों और अन्य लोगों का एक स्वयंसेवक समूह) की प्रणालियों को एकीकृत कर शहर, राज्य और केंद्र में कोरोनावायरस मामले को स्वत: तरीके से अद्यतन करता है। इसके अलावा यह वार्ड स्तर पर मामलों की संख्या के आधार पर अस्पताल के बुनियादी ढांचे और चिकित्सा आपूर्ति की क्षमता के इस्तेमाल का भी अंदाजा लगाएगा। यह सब एक डैशबोर्ड में अद्यतन डेटा के साथ मुहैया कराया जाएगा ताकि विकेंद्रीकृत कोविड-19 वॉर रूम से सक्रिय होकर फैसला लिया जा सके।
क्वांटेला के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी अनिल के का कहना है कि कंपनी ने बीएमसी के साथ काम शुरू करने से पहले ही असम के साथ-साथ आवासीय एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के लिए अपने मौजूदा क्वांटेला स्मार्ट सिटी के मंच के आधार पर कोरोनावायरस आपातकालीन प्रतिक्रिया मंच की स्थापना की थी। इसने बेंगलूरु में बृहत बेंगलूरु महानगर पालिका के लिए भी एक मॉडल कोविड वॉर रूम तैयार किया था। क्वांटेला के आने से पहले बीएमसी को आईसीएमआर से आए मरीजों के पॉजिटिव रिपोर्ट डेटा के साथ काम करना था। अस्पतालों में मरीजों की सेहत में सुधार पर नजर रखने के साथ ही डिस्चार्ज, बुनियादी चीजों की आपूर्ति का रिकॉर्ड रखने और उन पर नजर रखने, अस्पतालों में मांग के साथ ही कंटेनमेंट जोन का रिकॉर्ड भी रखना था। अनिल का कहना है, ‘यह सब मैनुअल तरीके से किया गया था जिनमें तीन से चार दिन लगेंगे और इसमें चौबीसों घंटे काम करने वाले 10-12 लोगों की जरूरत थी। चूंकि डेटा गूगल शीट्स पर था इसलिए इसमें दोहराव और त्रुटि होगी।’
क्वांटेला के आने से पहले वॉर्ड का आवंटन भी मैनुअल तरीके से किया जाता था लेकिन उससे पहले लैब जांच के दौरान मरीजों का पता रिकॉर्ड में रखा जाता था। लेकिन अब 90 फीसदी वार्ड आवंटन की प्रक्रिया स्वचालित हो चुकी है। इससे पूरे तंत्र की परिचालन क्षमता में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मरीजों को जांच के 24 घंटे के भीतर अस्पताल का बेड आवंटित किया जा रहा है जबकि पहले, इसमें 48 घंटे से अधिक समय लगता था। फिलहाल इस सिस्टम में 1072 उपयोगकर्ता, 250 लैब कोऑर्टिनेटर, 479 अस्पताल कोऑर्डिनेटर, 58 नगर प्रशासक और 285 वार्ड स्तर के वॉर रूम कोऑर्डिनेटर हैं।
अनिल कहते हैं, ‘इस मंच की वजह से हर रोज सुबह 10 बजे डैशबोर्ड पर डेटा का अंदाजा मिल जाता है और इसे क्वांटेला के माध्यम से सीधे एमसीजीएम और स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल पर भेज दिया जाता है और इस तरह शहर, राज्य और केंद्र के सभी स्वास्थ्य पोर्टल कोविड-19 की मौजूदा स्थिति का अंदाजा दे देते हैं।’ अनिल का मानना है कि यह बीएमसी के सक्रिय कदमों और महामारी से व्यवस्थित तरीके से निपटने के इरादे की वजह से इस प्रणाली ने काम करना शुरू कर दिया। वह कहते हैं, ‘दूसरी लहर कई मायनों में अभूतपूर्व थी लेकिन मुझे लगता है कि मुंबई मॉडल ने सफलता पाई। अब हम टीकाकरण का विवरण डैैशबोर्ड में जोड़ रहे हैं ताकि टीकाकरण की मौजूदा प्रक्रिया की जानकारी एक जगह ही उपलब्ध हो।’