कांग्रेस शासित राज्यों के दो मुख्यमंत्रियों छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल और पंजाब के अमरिंदर सिंह ने बिजली और कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकार के प्रस्तावित सुधारों का विरोध किया है।
इस विरोध में अन्य विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं, जिसके बारे में दोनों का तर्क है कि यह किसान और गरीब विरोधी हैं।
शुक्रवार को केंद्रीय बिजली और अक्षय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को लिखे पत्र में बघेल ने कहा है कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 किसानों व गरीबों के हितों के खिलाफ है।
बघेल ने कहा कि प्रस्तावित कानून से फसलों की उत्पादकता कम होगी और खाद्य सुरक्षा पर आत्मनिर्भरता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि विधेयक से राज्यों के अधिकारों का भी उल्लंघन हुआ है।
केंद्र के प्रस्तावित विधेयक का विरोध 1 जून को देश के बिजली क्षेत्र के हजारों कर्मचारियों ने किया था।
बहरहाल पंजाब के मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि राज्य पूरी ताकत से केंद्र सरकार के तथाकथित कृषि सुधारों का विरोध करेगा।
सिंह ने कहा कि वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बताएंगे कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना संभव नहीं होगा और इससे किसानों का हित बुरी तरह प्रभावित होगा।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कृषि उत्पाद कारोबार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक और किसान ( सशक्तीकरण एवं संरक्षण) समझौता अध्यादेश पेश किया था। इन अध्यादेशों का मकसद कृषि उत्पादों की एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही सुनिश्चित करना है।
केंद्र ने कहा कि किसानों को सहूलियत देने की जरूरत है, जिससे वे अपने कृषि उत्पाद अपनी पसंद के मुताबिक कहीं भी बेहतर मूल्य पर बेच सकें, जिसके लिए सरकार ने संभावित खरीदारों की संख्या बढ़ाने की कवायद की है।
बहरहाल इस व्यवस्था से राज्यों के राजस्व में और कमी आने की संभावना है क्योंकि खासकर इसका असर मंडी कर पर पड़ेगा।