मंदी में दूसरे भारतीय प्रबंधन संस्थानों की तरह ही आईआईएम-लखनऊ में भी इस साल छात्रों को नियुक्तियों के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
दरअसल मंदी के कारण सभी कंपनियां कम छात्रों की ही नियुक्तियां कर रही हैं। इस साल आईआईएम-लखनऊ के लगभग 267 छात्र परिसर नियुक्तियों में शामिल हो रहे हैं। इस बैच का दीक्षांत समारोह 17 मार्च को होना है।
आईआईएम-लखनऊ के निदेशक प्रोफेसर देवी सिंह ने बताया, ‘अभी तक लगभग 72 कंपनियों ने परिसर नियुक्तियों में हिस्सा लिया है। कुछ छात्रों को नौकरियां मिल गई हैं जबकि आने वाले कुछ दिनों में बाकी छात्रों की नियुक्ति भी हो जाएगी।’
लेकिन उन्होंने छात्रों को मिलने वाले वेतन पैकेज के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि इस साल हालात पिछले साल के मुकाबले काफी खराब हैं।
देवी सिंह ने बताया, ‘यह साल काफी मुश्किल है। आर्थिक मंदी का असर आशंका से काफी ज्यादा पड़ा है। लेकिन विपरीत हालात के बावजूद हम अपने छात्रों के प्लेसमेंट के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में बचे हुए छात्रों का भी प्लेसमेंट हो जाएगा।’
इस साल आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का परिसर में नियुक्तियों के लिए आना वरदान ही साबित हुआ है। सिंह ने बताया, ‘एक तरफ जहां सार्वजनिक क्षेत्र की इन कंपनियों को अच्छे छात्र मिल रहे हैं, वहीं इससे नियुक्तियों में संस्थान को भी काफी मदद मिली है।’
दिलचस्प बात यह है कि सोमवार को ही प्रोफेसर सिंह ने संस्थान के निदेशक के तौर पर अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया है। इससे पहले उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर 24 अगस्त 2008 को यह पद छोड़ दिया था।
उनके बाद संस्थान के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर प्रेम चंद पुरवार को संस्थान का कार्यकारी निदेशक बनाया गया था। इस पद पर फिर से प्रोफेसर सिंह की नियुक्ति ने कई विवादों पर विराम चिह्न लगा दिया है। दरअसल केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय संस्थान के किसी और प्रोफेसर को पूर्णकालिक निदेशक के तौर पर नियुक्त करने वाला था।
संस्थान में फिलहाल प्रोफेसरों की कमी है। इसीलिए संस्थान जल्द से जल्द करीब 10 प्रोफेसरों की नियुक्ति की योजना बना रहा है। फिलहाल संस्थान में लगभग 65 प्रोफेसर हैं।
उन्होंने बताया, ‘हम दो साल के प्रबंधन पाठयक्रम के लिए फीस बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। फिलहाल इस पाठयक्रम की फीस 5 लाख रुपये है।’ संस्थान हालात को देखते हुए पाठयक्रम में थोड़े बदलाव की योजना भी बना रहा है।
अभी तक लगभग 72 कंपनियां कर चुकी हैं संस्थान की परिसर नियुक्तियों में शिरकत
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने नियुक्तियों में भाग लेकर कम की छात्रों की परेशानी
पिछले साल के मुकाबले नियुक्ति प्रक्रिया है काफी सुस्त, घट गए वेतन पैकेज भी