देश की अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े सेवा क्षेत्र की वृद्धि में नवंबर में नरमी आई है। मगर यह लगातार दूसरा ऐसा महीना रहा, जब सात महीनों तक निरंतर गिरावट के बाद वृद्धि दर्ज की गई है। आईएचएस परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) ने ये आंकड़े जारी किए हैं। सेवाओं की घरेलू मांग अच्छी बनी हुई है, लेकिन विदेशी बाजारों से आने वाली मांग घटी है।
यह सूचकांक नवंबर में गिरकर 53.7 पर रहा, जो अक्टूबर में 54.1 पर था। पीएमआई की शब्दावली में 50 से ऊपर स्तर को विस्तार और उससे निचले स्तर को संकुचन माना जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की घोषणा से एक दिन पहले पीएमआई से जुड़े बयान में कहा गया कि सेवाओं की लागत और उत्पादन की महंगाई दर नवंबर में बढ़ी है।
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्र की सहायक निदेशक पोलियान्ना डी लीमा ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के नकारात्मक असर को कम करने के लिए ब्याज दरों में कमी और हाल में सेवा रोजगार में बढ़ोतरी घरेलू मांग के लिए सहायक कारक हैं। हालांकि महंगाई के दबाव में बढ़ोतरी से सुधार को लेकर जोखिम पैदा हो सकता है।’
कंपनियों ने अतिरिक्त कामगारों की नियुक्ति की है, जो हाल के महीनों में रोजगार के मोर्चे पर घटते रुझान के विपरीत है, लेकिन शुद्ध नियुक्तियां सामान्य रहीं। इस बयान में कहा गया कि हाल का आंकड़ा अब भी विस्तार की मजबूत रफ्तार का संकेतक है। इसमें कहा गया, ‘जिन कंपनियों ने उत्पादन में वृद्धि का संकेत दिया, उन्होंने मांग की बेहतर स्थितियों और कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील को कारक बताया।’
उपक्षेत्र के आंकड़ों से पता चलता है कि परिवहन एवं भंडारण नवंबर में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली श्रेणियां रहीं। इनमें उत्पादन और बिक्री की वृद्धि दर उपभोक्ता सेवा और वित्त एवं बीमा से अधिक रही। सूचना एवं संचार और रियल एस्टेट एवं कारोबारी सेवा में नए ऑर्डरों एवं गतिविधियों में कमी रही।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि कुल नए काम में बढ़ोतरी की अगुआई घरेलू बाजार ने की। नवंबर में नए निर्यात ऑर्डरों में तेज गिरावट रही। अंतरराष्ट्रीय बिक्री में ताजा गिरावट की वजह कमजोर वैश्विक मांग और यात्रा प्रतिबंध रहे।
दरअसल व्यापार के आधिकारिक आंकड़ों ने यह दिखाया है कि नवंबर में वस्तु निर्यात 9 फीसदी से अधिक गिरा है। यह अक्टूबर में पांच फीसदी गिरावट से अधिक तेज गिरावट है। सेवा प्रदाताओं ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुए अवरोधों से नवंबर में परिचालन क्षमता पर उच्च दबाव बना है और बकाया कारोबार में बढ़ोतरी हो रही है। बकाया काम की रफ्तार अक्टूबर से बढ़ी है। विनिर्माण गतिविधियों के साथ भारतीय निजी क्षेत्र में गतिविधियां नवंबर में लगातार तीसरे महीने बढ़ी हैं, लेकिन वृद्धि की रफ्तार अक्टूबर में करीब नौ वर्ष के सर्वोच्च स्तर के मुकाबले नरम पड़ी है। कम्पोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स 58.0 से लुढ़ककर 56.3 पर आ गया। हालांकि यह स्तर भी विस्तार का सूचक है। विनिर्माण और सेवा प्रदाताओं के स्तर पर बढ़ोतरी की दर नरम हुई है।
सेवा कंपनियां को भरोसा है कि आगामी 12 महीनों में कारोबारी गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी। आशावादिता का स्तर नौ महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। सकारात्मक रुझान की वजह यह उम्मीद भी है कि जल्द ही कोविड-19 का टीका आ जाएगा।