पश्चिम बंगाल में बड़ी तेजी के साथ गैर पंजीकृत फैक्टरियां तो खुलती जा रही हैं, पर अब इनमें काम करने वाले मजदूरों की किल्लत होने लगी है।
राज्य के कारखानों के संयुक्त निदेशक एस दास ने बताया कि जिस तेजर के साथ फैक्टरियां खुलती जा रही हैं, सबसे बड़ी चुनौती अब उनमें काम करने वाले मजदूर जुटाने की है।
दास ने बताया कि राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे कारखाने हैं और इनको विभिन्न स्तरों पर निरीक्षण करने के लिये केवल 40 निरीक्षक ही हैं। एक निरीक्षक को 5 जिलों की जिम्मेदारी है जिसके कारण काफी मुश्किल होती है।
महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश की तुलना में राज्य में निरीक्षकों की संख्या काफी कम है। दास ने बताया कि हर स्तर पर 14 निरीक्षकों की भर्ती के लिये कदम उठाए गए हैं और विज्ञाापन भी निकाला गया है।
उन्होंने बताया कि राज्य में हर साल लगभग 300 कारखानों का पंजीकरण होता है जबकि 70 से 80 अवैध कारखानों के मामले सामने आते हैं। ज्यादातर अवैध कारखाने कोलकाता के टोपसिया इलाके में हैं।
इन कारखानों के लिए जमीनों के पंजीकरण के समय विभाग को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था क्योंकि यह स्पष्ट नहीं था कि ये जमीनें किराए पर हैं या सह ठेके पर। राज्य में सह ठेका अवैध माना जाता है।
दास ने बताया कि इन गैर पंजीकृत कारखानों पर किये गये मुकदमों में काफी समय लग रहा है। जिन कारखानों पर मुकदमा ठोंका गया है उन्हें एक लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ा है।