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उत्तर प्रदेश में चुनावी बयार की आहट, बढ़ गई गर्माहट

Last Updated- December 12, 2022 | 6:41 AM IST

इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच तीखी जबानी जंग छिड़ी जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार (2012-17) को उत्तर प्रदेश को कथित तौर पर बीमारू (लंबे समय से पिछड़े) राज्य में तब्दील करने के लिए फ टकार लगाई। आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की नकारात्मक छवि के कारण निवेशकों की दिलचस्पी राज्य में तब तक नहीं थी जब तक कि उनकी सरकार ने पिछले चार सालों में राज्य की तकदीर में बदलाव की मुहिम नहीं छेड़ी थी। उन्होंने कहा, ‘जब हम सत्ता में आए तब उत्तर प्रदेश व्यापार सुगमता के सूचकांक में 14वें स्थान पर था और बीमारू राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) में इसका प्रमुख स्थान था।’
उन्होंने कहा कि अब राज्य दूसरे पायदान पर है और वह उत्तर प्रदेश को शीर्ष स्तर पर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि यह महज एक बयान भर नहीं है। उत्तर प्रदेश कई कारोबार और आर्थिक सूचकांक में अपनी स्थिति बेहतर कर रहा है जिसे निवेशक मान्यता देते हैं। साल 2020-21 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा और यह तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक से ऊपर 2019-20 के दौरान पांचवें पायदान से ऊपर की ओर बढ़ा। उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग के मुताबिक, राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2020-21 के दौरान महाराष्ट्र के 30.7 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 19.4 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राज्य ने लॉकडाउन के बाद पिछले साल बेरोजगारी दर में 21 फीसदी की तेजी देखी गई जो फरवरी 2021 में घटकर 4.1 फीसदी के स्तर तक आ गई।
2017 से पहले  राज्य की बेरोजगारी दर 17.5 प्रतिशत थी जो बाद के वर्षों में घटकर 10 प्रतिशत रह गई हालांकि लॉकडाउन की वजह से बनी आर्थिक मंदी की स्थिति के कारण बेरोजगारी दर 21 प्रतिशत के स्तर तक पहुंच गई। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश का वार्षिक बजट 2021-22 करीब 5.5 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया है जो महाराष्ट्र सहित अन्य समकक्ष राज्यों में सबसे अधिक है। पिछले साल, उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के बाद दूसरे राज्यों से भी अनुमानत: 40 लाख प्रवासी कामगार आए जबकि इस राज्य की अपनी ही आबादी 2.2 करोड़ से ज्यादा है। हालांकि, कोविड-19 से पैदा हुई स्थिति और प्रवासी मजदूरों के प्रबंधन के लिए भी राज्य सरकार की तारीफ  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की।
 अब, उत्तर प्रदेश 1 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रयासरत है जिस तरह मोदी ने भारत को निकट भविष्य में 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की कल्पना की है। लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख यशवीर त्यागी ने कहा कि आदित्यनाथ सरकार घरेलू और विदेशी कंपनियों की तरफ  से निवेश आकर्षित करने के लिए अर्थव्यवस्था के विकास इंजन की रफ्तार बढ़ाने के साथ ही ‘ब्रांड यूपी’ को बढ़ावा देने में सफल रही है। उन्होंने कहा, ‘मेट्रो रेल और एक्सप्रेसवे सहित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और बिजली की स्थिति में सुधार लाकर उत्तर प्रदेश की उत्पादक क्षमता में वृद्धि की गई है। राज्य ‘व्यापार सुगमता’ के पैमाने पर 14वें पायदान से दूसरे स्थान पर पहुंच कर अपनी साख बनाई है जो कारोबार और उद्योग के अनुकूल सरकार के लिहाज से जरूरी है।’ हालांकि, आर्थिक बदलाव में नए उद्योग धंधे स्थापित करने जैसी बात नहीं थी बल्कि एक जटिल और बारीक खाका तैयार किया गया था जिसमें नीतियों का मसौदा तैयार करने और संशोधन करने के साथ-साथ कानून और व्यवस्था पर भी पूरा नियंत्रण बनाने की बात थी। अब तक राज्य में बड़े अपराधियों से करीब 1,000 करोड़ रुपये की जमीन और अचल संपत्ति जब्त की जा चुकी है। इसके साथ-साथ  सरकार विशेष रूप से प्रवासी कामगारों, पटरी पर बिक्री करने वाले वेंडरों, छोटे किसानों जैसे हाशिये पर खड़े वर्गों के लिए कल्याणकारी और सामाजिक सुरक्षा उपायों को शुरू कर यहां रहने के माहौल में सुधार करने के लिए प्रयासरत है।
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम और निर्यात संवर्धन) नवनीत सहगल ने कहा, ‘सरकार द्वारा किए गए सुधारों से आकर्षित होकर निजी कंपनियां डेटा सेंटर, रक्षा उत्पादों के निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और लॉजिस्टिक्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने के लिए दिलचस्पी दिखा रही हैं।’ मिसाल के तौर पर सैमसंग डिस्प्ले नोएडा क्षेत्र में अपने विनिर्माण केंद्र में करीब 5,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। यह निवेश दक्षिण कोरिया की बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा चीन में अपने प्रस्तावित संयंत्र को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थानांतरित करने के फैसले के बाद आया है। चूंकि विधानसभा चुनाव 2022 में होने वाले हैं और कृषि कानूनों के खिलाफ  विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में अगले कुछ हफ्तों में राज्य पंचायत चुनाव भी होने हैं इसीलिए आदित्यनाथ अनौपचारिक तौर पर चुनावी मिजाज में ही दिख रहे हैं और वह तुलनात्मक रूप से पिछड़े पूर्वांचल और बुंदेलखंड सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ के तहत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर प्रदर्शन को देखा जाए तो यह व्यापार सुगमता के लिहाज से दूसरे पायदान पर है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था के आकार (वित्त वर्ष 2021) के लिहाज से भी दूसरे स्थान पर है। बेरोजगारी की दर जहां  4.1 फीसदी है वहीं प्रति व्यक्ति आमदनी  95,000 रुपये (वित्त वर्ष 2021) है। राज्य के 5.5 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक बजट (वित्त वर्ष 2022) के साथ ही उत्तर प्रदेश ने 2025 तक उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 लाख करोड़ डॉलर तक का बनाने का लक्ष्य रखा है।

First Published - March 24, 2021 | 11:24 PM IST

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