उद्योगों की ओर से लगातार प्रशिक्षित श्रमिकों की मांग को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यावसायिक शिक्षा बोर्ड बनाने की योजना बनाई है।
इससे राज्य सरकार को उम्मीद है कि उद्योगों को राज्य से ज्यादा बेहतर कर्मचारी मिलेंगे। नया बोर्ड राज्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और पॉलिटेक्ीक संस्थानों के तहत दी जाने वाली शिक्षा की उच्च गुणवत्ता बनाए रखना सुनिश्चित करेगा।
अनुमान है कि साल 2022 तक भारत में विभिन्न परियोजनाओं को पूरा करने के लिए लगभग 50 करोड़ प्रशिक्षित श्रमिकों की जरूरत पड़ेगी। उत्तर प्रदेश के व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया, ‘नए बोर्ड पर आईटीआई संस्थानों और पॉलीटेक्नीक संस्थानों के लिए उद्योगों की जरूरत के हिसाब से पाठयक्रम तय करने की जिम्मेदारी होगी।’
उन्होंने बताया कि जिस तरह उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) राज्य के इंजीनियरिंग संस्थानों का संचालन करता है, उसी तरह व्यावसायिक शिक्षा बोर्ड राज्य के आईटीआई संस्थानों और पॉलिटेक्नीक संस्थानों का संचालन करेगा।
फिलहाल राज्य के आईटीआई और पॉलीटेक्नीक संस्थानों से सालाना 75,000 प्रशिक्षित श्रमिक निकलते हैं। लेकिन उद्योगों की जरूरत के वाले पाठयक्रम के अभाव में उनके पास नवीन प्रशिक्षण नहीं होता है। इस परियोजना को शुरू करने के लिए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को जल्द से जल्द राज्य में प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए सुझाव देने का आदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि राज्य के असंगठित उद्योग में काम करने वाले लगभग 95 फीसदी लोग प्रशिक्षित नहीं हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ उत्तर प्रदेश राज्य परिषद् के चेयरमैन रमेश सूरी ने बताया, ‘भारत में कार्यरत अधिकतर श्रमिक प्रशिक्षित नहीं होते हैं। इस कारण उन्हें बेहतर नौकरी ढूंढने और अपनी आर्थिक दशा सुधारने में काफी मुश्किल होती है।’
इस बैठक से राज्य सरकार को इस मामले पर उद्योगों का सुझाव लेने का मौका मिल गया। इसके बाद अब सरकार उद्योगों के सुझाव के मुताबिक आईटीआई और पॉलिटेक्नीक संस्थानों के तकनीकी पाठयक्रम का पुनर्गठन करेगी।
रंजन ने बताया, ‘योग्यता विकास के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया जाएगा। यह टीम निर्माण, हॉस्पिटैलिटी, स्वास्थ्य, आईटी, ऊर्जा और कृषि प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देगी।’ इसी दौरान राज्य सरकार ने गैर लाभकारी संगठनों और निजी क्षेत्र को प्राथमिक, सैकेण्डरी और हाई स्कू ल की पढ़ाई के बाद वहां व्यावसायिक प्रशिक्षण देने की अनुमति प्रदान कर दी है।
भारतीय उद्योग परिसंघ उत्तर प्रदेश राज्य परिषद् के चेयरमैन जयंत कृष्णा ने बताया, ‘राज्य को अपनी आबादी के अनुपात में प्रशिक्षित कर्मचारी देने चाहिए। लेकिन इसके लिए हमें भी रोजगार की संभावनाएं मुहैया करानी चाहिए। वरना रोजगार की तलाश में प्रशिक्षित लोग राज्य से बाहर जाते रहेंगे और राज्य को उनकी प्रतिभा का फायदा नहीं मिलेगा।’