मध्य प्रदेश सरकार भले ही कह रही हो कि कर्मचारियों को इन्सेंटिव देने, छठा वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने, सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं पर अधिक खर्च किए जाने के कारण राज्य की वित्तीय हालत बिगड़ी है, लेकिन हकीकत यह है कि दुनिया के मंदी की चपेट में आने से पहले ही राज्य के वित्तीय कोष ने जवाब देना शुरू कर दिया था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2008-09 की पहली तिमाही में राज्य का वित्तीय घाटा लगभग 1286.03 करोड़ रुपये हो गया जबकि वित्त वर्ष 2007-08 की उसी समयावधि में यह आंकड़ा 266.97 करोड़ रुपये था। अनुमान है कि साल 2008-09 में यह आंकड़ा बढ़कर 4,741 करोड़ रुपये हो जाएगा।
वित्त वर्ष 2007-08 में कर से होने वाली कमाई लक्ष्य से लगभग 18 फीसदी अधिक थी। लेकिन मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए राज्य के जीडीपी की 6 फीसदी कमाई करने का लक्ष्य दूर की कौड़ी ही नजर आ रहा है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वैट से होने वाली कमाई 2,382.88 करोड़ रुपये से 21 फीसदी बढ़कर 2,906.92 करोड़ रुपये हो गई थी।
जबकि बिजली कर से होने वाली कमाई में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2007-08 में यह आंकड़ा 420.43 करोड़ रुपये था, वित्त वर्ष 2008-09 में लगभग 202.41 फीसदी की गिरावट आने के बाद 139.15 करोड़ रुपये ही रह गया है।