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लेखक : ए के भट्टाचार्य

आज का अखबार, बजट, संपादकीय

राजकोषीय और चुनावी दोनों नजरियों से बेहतर है बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पांचवें बजट में एक आंकड़ा जिस पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए था वह है 2023-24 के लिए प्रस्तुत राजस्व घाटे का आंकड़ा। राजस्व घाटे को वर्ष 2021-22 के जीडीपी के 4.4 फीसदी से कम करके 2022-23 में 4.1 फीसदी पर लाने के बाद अब उन्होंने […]

आज का अखबार, लेख

राज्यों की बदौलत केंद्र को अवसर

करीब 10 वर्ष पहले तक केंद्र सरकार के बजट का आकार सभी राज्यों के संयुक्त व्यय से अधिक होता था। यह परिदृश्य 2012-13 में बदल गया। उस वर्ष राज्यों का बजट बढ़कर 14.55 लाख करोड़ रुपये हो गया जो पहली बार केंद्र सरकार के 14.1 लाख करोड़ रुपये के बजट से अधिक था। तब से […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

जीडीपी वृद्धि के अनुमानों के आंकड़ों की क्या हैं खामियां

तीन वर्षों में जीडीपी वृद्धि से जुड़े कई अनुमानित आंकड़े जारी करने की प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इसका बजट बनाने से भी फायदा होगा। बता रहे हैं ए के भट्टाचार्य राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) किसी भी एक वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के वार्षिक आकार का अनुमान निकालने की प्रक्रिया छह बार […]

आज का अखबार, लेख

राजकोष पर भारी पड़ेगी मुफ्त खाद्यान्न योजना

केंद्र सरकार ने गत सप्ताह यह निर्णय लिया कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अ​धिनियम (एनएफएसए) के तहत मुफ्त खाद्यान्न आपूर्ति जारी रखेगी। उसके इस निर्णय पर उचित ही सवाल उठ रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 81 करोड़ लोगों को आपूर्ति किए जाने वाले अनाज का केंद्रीय निर्गम मूल्य बढ़ाकर खाद्य स​ब्सिडी बिल कम […]

लेख

नगर निकायों के प्रति बेरुखी का निदान जरूरी

नगर निकाय चुनावों में मतदाताओं की अनिच्छा शासन संबंधी एक गंभीर खामी का नतीजा है जिसे दूर करने की आवश्यकता है। इस विषय में सुझाव दे रहे हैं ए के भट्टाचार्य

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