दुनिया और चुनाव के बारे में युवाओं की सोच
पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं के कम पंजीकरण को लेकर चिंता जताई जा रही है और इस पर काफी टिप्पणियां भी की जा रही हैं। इसकी वजह इनमें छाई उदासीनता, निराशावाद की भावना और लॉजिस्टिक कठिनाइयां जैसे संभावित कारण हैं। इस स्तंभ में हाल में देश के युवाओं पर कराए गए शोध के कुछ […]
भारत में आय जनसांख्यिकी का तेजी से बदल रहा स्वरूप
अगर आप भारत में उपभोग के विभिन्न प्रारूप के बजाय किसी एक ढर्रे पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो उलझन की स्थिति पैदा हो जाती है। (क्या भारत में उपभोग के प्रारूप का आकलन करने का कोई और भी तरीका है?) उलझन तब और बढ़ जाती है जब आप देश के उपभोग के आधारभूत प्रारूप […]
अर्थव्यवस्था में मध्यम वर्ग से जुड़े नए विमर्श
इस स्तंभ में हमेशा ही इस बात पर जोर दिया गया है कि अब हमें विश्व रैंकिंग में भारत के स्थान को देखने के बजाय आंतरिक स्तर पर खुद को मजबूत बनाने और अपनी छिपी हुई क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने पर ध्यान देना चाहिए। इस वक्त आगे बढ़ने और मध्यम वर्ग पर होने वाली […]
भारत से जुड़ने का सफल प्रयोग करती इंडिगो
छुट्टियों के इस मौसम में भारत के एक-तिहाई उपभोक्ता इन दिनों विमान से यात्रा कर रहे हैं। संभव है कि 10 यात्रियों में से सात इंडिगो विमान से ही उड़ान भर रहे हों। यह स्तंभ एक नामी भारतीय ब्रांड पर केंद्रित है जिसका प्रदर्शन कई स्तरों पर काफी बेहतर रहा है। इंडिगो गैर-अनुशासित लोगों को […]
चुनावी ‘रेवड़ी’ की बहस को नया कलेवर देने की जरूरत
देश में मुफ्त सेवाओं के रूप में रेवड़ियां बांटने और लोगों के कल्याण के लिए योजनाओं की पेशकश करने के बीच क्या अंतर है? अगर राजनीतिक क्षेत्र के मौजूदा आरोप-प्रत्यारोप को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि एक राजनीतिक दल की रेवड़ी दूसरे राजनीतिक दल के लिए कल्याणकारी कार्य है और अधिकांश कल्याणकारी […]




