भारत सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) को बढ़ावा देने के लिए एक नई नीति लाने की योजना बना रही है। इस नीति के तहत, विदेश से आने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर लगने वाला टैक्स (इम्पोर्ट ड्यूटी) 110% से घटाकर 15% किया जा सकता है। हालांकि, इसका फायदा उठाने के लिए कंपनियों को कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी।
उन्हें भारत में 4,150 करोड़ रुपये (500 मिलियन डॉलर) का निवेश करना होगा, तीन साल के अंदर गाड़ियों का निर्माण शुरू करना होगा और पांच साल में 50% तक लोकल पार्ट्स इस्तेमाल करने होंगे। इसके अलावा, दूसरे साल में 2,500 करोड़ रुपये, चौथे साल में 5,000 करोड़ रुपये और पांचवें साल में 7,500 करोड़ रुपये का कारोबार करना जरूरी होगा।
भारतीय कार कंपनियों के लिए नुकसानदायक नीति
HSBC ग्लोबल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नीति भारतीय कार कंपनियों के लिए ठीक नहीं होगी। फिलहाल, भारत में बनने वाली पेट्रोल-डीजल गाड़ियों (ICE) पर 43-50% तक जीएसटी और करीब 13% रोड टैक्स लगता है, जिससे कुल टैक्स 55-60% तक पहुंच जाता है।
वहीं, भारत में बनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सिर्फ 5% जीएसटी लगता है और ज्यादातर राज्यों में इन पर रोड टैक्स नहीं लगता। अब अगर सरकार विदेश से आने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सिर्फ 15% टैक्स लगाएगी, तो इससे भारतीय पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की बिक्री पर असर पड़ सकता है और देश की कार कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
बाजार पर असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि हर साल सिर्फ 8,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियों को भारत इंपोर्ट की इजाजत मिलेगी, जिससे कुल बाजार पर बहुत बड़ा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इतनी कम संख्या में गाड़ियाँ बेचने के बावजूद कितनी विदेशी कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए तैयार होंगी। कुछ कंपनियां, जैसे हुंडई मोटर्स इंडिया, इस नीति का फायदा उठाकर कम कीमत पर इलेक्ट्रिक गाड़ियां भारत में ला सकती हैं।
महिंद्रा जैसी कंपनियों का बड़ा निवेश
भारतीय कार कंपनियां पहले ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए भारी निवेश कर रही हैं। उदाहरण के लिए, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) ने 2025 से 2027 के बीच इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 12,000 करोड़ रुपये (1.45 बिलियन डॉलर) खर्च करने की योजना बनाई है, जो सरकार द्वारा तय किए गए निवेश से कहीं ज्यादा है। ऐसे में, अगर विदेशी कंपनियों को कम टैक्स पर गाड़ियां बेचने की सुविधा मिलती है, तो भारतीय कंपनियों के लिए यह सही नहीं होगा।
सरकार की मंशा और आगे का असर
सरकार चाहती है कि देश में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलें ताकि प्रदूषण कम हो और ईंधन पर निर्भरता घटे। लेकिन HSBC की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर विदेश से आने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर टैक्स कम होगा और भारतीय पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर ज्यादा टैक्स जारी रहेगा, तो इसका घरेलू कंपनियों पर बुरा असर पड़ सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस नीति को लागू करती है या भारतीय कंपनियों के हितों को ध्यान में रखते हुए इसमें बदलाव करती है।