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Budget 2025: क्या मिडिल क्लास की उम्मीदें इस बार के बजट में पूरी होंगी? टैक्स छूट का इंतजार

Budget 2025: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने टैक्स कानूनों की समीक्षा और सरल बनाने के लिए व्यापक तैयारी की है।

Last Updated- January 11, 2025 | 1:05 PM IST
New Tax Slab
Representative Image

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह दिन देशभर के करदाताओं के लिए बेहद अहम होता है। खासतौर पर लोग आयकर से जुड़ी घोषणाओं का बेसब्री से इंतजार करते हैं, ताकि यह पता चले कि आम आदमी को कोई राहत मिलेगी या नहीं।

इस साल बजट को लेकर चर्चा है कि क्या टैक्स स्लैब में बदलाव होगा या कोई नई राहत की घोषणा होगी। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस विषय पर विशेषज्ञों से बात की और जाना कि सरकार से किस तरह की घोषणाओं की उम्मीद की जा सकती है।

बजट 2025: टैक्स कानूनों में सुधार की उम्मीद

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने टैक्स कानूनों की समीक्षा और सरल बनाने के लिए व्यापक तैयारी की है। इससे उम्मीदें बढ़ गई हैं कि बजट में ऐसे सुधार हो सकते हैं, जो प्रक्रियाओं को आसान बनाने और टैक्सपेयर्स का भरोसा बढ़ाने में मदद करें।

Dhruva Advisors के पार्टनर आशीष अग्रवाल ने कहा, “इस बजट में इनकम टैक्स एक्ट का पूरा बदलाव होना मुश्किल है, लेकिन टैक्सपेयर्स की शिकायतों को जल्द निपटाने और अनुपालन को आसान बनाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, पिछले 3-4 सालों में फेसलेस CIT (अपील) स्तर पर मामलों का निपटारा धीमा रहा है। इसे सुधारने से कारोबार करना आसान होगा।”

अग्रवाल ने सरकार से टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) और टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (TCS) के प्रावधानों को सरल बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि कई दरों और सेक्शनों की जटिलता को कम किया जाना चाहिए। साथ ही, मेक-इन-इंडिया पहल के तहत 15% की रियायती कॉरपोरेट टैक्स दर, जो 31 मार्च 2024 को समाप्त हो रही है, को अगले पांच साल तक बढ़ाने का सुझाव दिया। इससे निजी निवेश, रोजगार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

विदेशी टैक्सपेयर्स के लिए, अग्रवाल ने ई-फाइलिंग पोर्टल पर सीधे टैक्स भुगतान और रिफंड के लिए विदेशी बैंक खातों की सुविधा देने का प्रस्ताव रखा, ताकि भारतीय बैंक खाते की अनिवार्यता को समाप्त किया जा सके।

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सीनियर सिटीजन्स के लिए सुझाव

Taxspanner के सीईओ सुधीर कौशिक ने सुझाव दिया है कि सीनियर सिटीज़न्स के टैक्स फाइलिंग छूट की उम्र 75 साल से घटाकर 70 साल कर दी जाए। उन्होंने यह भी जोर दिया कि टैक्स नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य रूप से रिटर्न फाइल करने वालों पर ध्यान दिया जाए।
वहीं, बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी के अध्यक्ष CA Anand Bathiya ने बड़े पॉलिसी बदलावों की संभावना को सीमित बताया। उन्होंने कहा, “बजट में आमतौर पर बड़े नीतिगत बदलाव नहीं होते। ध्यान प्रक्रियागत सुधारों और सादगी पर रहेगा।”

बजट 2025: टैक्स सुधारों पर उम्मीदें

ClearTax की टैक्स एक्सपर्ट शेफाली मुंद्रा ने बजट 2025 में संभावित टैक्स सुधारों पर अपने विचार साझा किए:

सेक्शन 80D में बदलाव: स्वास्थ्य बीमा को बढ़ावा देने के लिए, व्यक्तिगत टैक्स छूट सीमा को बढ़ाकर ₹50,000 और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹1,00,000 किए जाने की उम्मीद।

होम लोन ब्याज छूट: रियल एस्टेट में निवेश बढ़ाने के लिए सेक्शन 24(b) के तहत ब्याज छूट सीमा को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹3 लाख किए जाने की संभावना।

सेक्शन 80C की सीमा में सुधार: 2014 से लागू ₹1.5 लाख की सीमा को बढ़ाकर पीपीएफ (Public Provident Fund) और टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे निवेशों को बढ़ावा देने की उम्मीद।

कॉरपोरेट टैक्स रेट बढ़ाने का सुझाव

सरकार से उम्मीद है कि वह नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए 15% की रियायती कॉरपोरेट टैक्स दर को मार्च 2024 के बाद भी जारी रखेगी। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती देने में मददगार होगा।

आरएंडडी के लिए प्रोत्साहन योजना

शोध और विकास (R&D) को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करने की मांग की गई है। इसमें कारोबार बढ़ाने या पूंजी निवेश जैसे मानकों पर फोकस किया जाएगा।

वरिष्ठ नागरिकों और टैक्स दर में कटौती का सुझाव

वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स छूट सीमा बढ़ाने और व्यक्तिगत व लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) टैक्स दर को 25% तक घटाने का सुझाव दिया गया है, ताकि इसे कॉरपोरेट टैक्स रेट के बराबर लाया जा सके।

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बजट 2025: टैक्स स्लैब्स पर बहस जारी

टैक्स स्लैब्स में बदलाव को लेकर काफी बहस हो रही है। अग्रवाल ने कहा, “टैक्स स्लैब्स में बदलाव अब जरूरी हो गया है। टैक्स-फ्री इनकम की सीमा को ₹10 लाख तक बढ़ाना और प्रोग्रेसिव रेट्स जैसे ₹10–20 लाख पर 10%, ₹20–30 लाख पर 20%, और ₹30 लाख से ऊपर 30% का टैक्स लागू करना, महंगाई और ज्यादा टैक्स के कारण घटती डिस्पोजेबल इनकम की समस्या को हल कर सकता है।”

हालांकि, कौशिक ने स्थिरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “टैक्स स्लैब्स और नियमों को स्थिर रखना टैक्सपेयर्स को बिना किसी रुकावट के लंबी अवधि के लिए प्लानिंग करने का मौका देता है। बार-बार बदलाव से अनिश्चितता पैदा होती है और वित्तीय रणनीतियां प्रभावित होती हैं।”

Bathiya ने बताया कि ज्यादा पर्सनल टैक्सेशन फ्रेमवर्क को कुछ हद तक आसान बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “मिडिल क्लास के हाथों में ज्यादा पैसा पहुंचाने से खपत बढ़ेगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”

शेफाली मुंद्रा का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में बेसिक इनकम टैक्स छूट सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती हैं। उन्होंने 15 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति के लिए मौजूदा और प्रस्तावित टैक्स स्लैब के तहत टैक्स गणना को समझाया।

मौजूदा टैक्स स्लैब

3 लाख रुपये तक: कोई टैक्स नहीं
3–7 लाख रुपये: 5% = 20,000 रुपये
7–10 लाख रुपये: 10% = 30,000 रुपये
10–12 लाख रुपये: 15% = 30,000 रुपये
12–15 लाख रुपये: 20% = 60,000 रुपये
कुल टैक्स देय: 1,40,000 रुपये

प्रस्तावित टैक्स स्लैब

5 लाख रुपये तक: कोई टैक्स नहीं
5–7 लाख रुपये: 5% = 10,000 रुपये
7–10 लाख रुपये: 10% = 30,000 रुपये
10–12 लाख रुपये: 15% = 30,000 रुपये
12–15 लाख रुपये: 20% = 60,000 रुपये
कुल टैक्स देय: 1,30,000 रुपये

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बजट में किए जाने वाले टैक्स सुधारों पर सभी की नजर रहेगी, क्योंकि ये बदलाव न केवल व्यक्तिगत वित्तीय रणनीतियों पर असर डाल सकते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे।

First Published - January 11, 2025 | 1:05 PM IST

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