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विकास पर आधारित रहा बजट

Last Updated- December 10, 2022 | 1:16 AM IST

अंतरिम बजट ने अगली सरकार के लिए एक दिशा निर्धारित की है। इस बजट के जरिये यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि आम चुनाव के बाद वाले महीने में किस तरह के कदम आनेवाली सरकार को उठाने चाहिए।
बजट पेश करने से पहले फिक्की ने इस बात पर बार बार जोर दिया था कि विकास पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इसके अलावा फिक्की ने यह भी कहा था कि व्यक्तिगत तौर पर और कंपनियों के पास ज्यादा से ज्यादा मुद्रा का प्रवाह होना चाहिए, ताकि मांग को बढ़ाया जा सके।
अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने इन्हीं बातों को अलग-अलग संदर्भों में दुहराया है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा, ‘ संकट की इस घड़ी में कर की दरों का गिरना लाजिमी है।’ निश्चित तौर पर यह आने वाली सरकार के लिए एक संदेश है।
अब फिक्की इस मोर्चे पर और विकास की उम्मीद करता है। अंतरिम बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर जोर देने की बात कही गई। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए बजट में 30,100 करोड़ रुपये का भारी भरकम आवंटन किया गया है।
 इससे यह जाहिर होता है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में सरकार कितनी प्रतिबद्ध है। इसके अलावा राजस्व घाटे के बावजूद सरकार ने भारत निर्माण कार्यक्रम के लिए 40,900 करोड़ रुपये का आवंटन की है।
इन घोषणाओं में सरकार ने देश की आम जनता का विशेष ध्यान रखा है। अगर हम राजस्व घाटे की बात करें, तो सरकार ने इस संदर्भ में साफ सुथरा रास्ता अपनाने की कोशिश की है। इसके तहत यह कहा गया है कि संकट की इस घड़ी में एफआरबीएम लक्ष्य में छूट दी जा सकती है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार आर्थिक गति को गति देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका मतलब यह हुआ कि अतिरिक्त उधारी अपेक्षा से ज्यादा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी। 

हालांकि इस बजट में कोई विशेष मानकों की बात नहीं की गई, फिर भी निर्यात पर अगले छह महीने तक के लिए शुल्क की वर्तमान दर का विस्तार और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को समय पड़ने पर फिर से पूंजी उपलब्ध कराने की महत्वपूर्ण बात कही गई है।
अंत में यह कहना जरूरी होगा कि अंतरिम बजट के जरिये अगली सरकार को स्पष्ट निर्देश मिल गया है, जिसके तहत 2009 और उसके बाद भारत की आर्थिक गति को कायम रखा जा सके।  
बातचीत : कुमार नरोत्तम
मुझे इस बजट से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं थी क्योंकि यह लेखानुदान था।  हम अगले कुछ महीनों में करों एवं ब्याज दरों में कोई बदलाव देखने नहीं जा रहे हैं। भारतीय कंपनियां ब्याज दरें नीचे आने की उम्मीद कर रही थीं।
सज्जन जिंदल
एमडी, जेएसडब्ल्यू
अंतरिम बजट को उद्योगपतियों का बजट है। इसमें आम जनता की उपेक्षा की गई है। यह महज आंकड़ों की बाजीगरी है, जिसके माध्यम से जनता को गुमराह किया जा रहा है। महंगाई चरम पर है, जिसे रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया गया और मंदी की भी अनदेखी की गई।
मायावती
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

First Published - February 16, 2009 | 11:43 PM IST

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