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राजकोषीय समेकन के खाके में बदलाव

Last Updated- December 12, 2022 | 8:56 AM IST

चालू वित्त वर्ष में केंद्र के राजकोषीय घाटे ने पहले के सभी अनुमानों को ध्वस्त कर दिया है। अब यह सकल घरेलू उत्पाद के 9.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो चालू वित्त वर्ष के दौरान 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
वृद्धि में संकुचन, कमजोर राजस्व प्रवाह और महामारी के दौरान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से घोषित मझोले आकार के कई प्रोत्साहन पैकेजों को देखते हुए राजकोषीय खाके में बदलाव किया गया है।
वित्त वर्ष 2022 के लिए केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रखने का लक्ष्य बनाया है, जो धीरे धीरे कम होकर अगले 4 साल में वित्त वर्ष 26 तक 4.5 प्रतिशत के नीचे पहुंच जाएगा।
सोमवार को वित्त वर्ष 22 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की शुुरुआत में अर्थव्यवस्था पर महामारी के असर के कारण राजस्व प्रवाह कमजोर रहा। समाज में हाशिये पर रह रहे लोगों, खासकर गरीबों, महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आवश्यक राहत मुहैया कराने के लिए ज्यादा धन खर्च करना पड़ा। वित्त वर्ष 2020-21 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 9.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। हमने सरकारी उधारी, बहुपक्षीय उधारी, लघु बचत कोषों और कम अवधि की उधारी से इसके लिए वित्तपोषण किया है।’
संशोधित अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 21 में राजस्व और व्यय के बीच अंतर 18.48 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। वहीं वित्त वर्ष 22 में यह अंतर 15 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
सीतारमण का वित्त वर्ष 26 तक का राजकोषीय खाका पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक है। वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2026 तक के लिए वित्त आयोग की रिपोर्ट अगस्त में बजट के साथ संसद में पेश की गई थी।
वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हमने अनुमान लगाया है कि केंद्र सरकार के राजस्व खाते की अनिवार्यताओं को देखते हुए वह राजकोषीय घाटे के बढ़े हुए मार्ग का पालन कर सकती है, जिसमें वित्त वर्ष 26 तक के लिए जीडीपी के 4 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा जा सकता है।’
राजकोषीय विस्तार के लिए केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2022 में कुल 12 लाख करोड़ रुपये उधारी लेगी। चालू साल में केंद्र सरकार पहले से संशोधित 12 लाख करोड़ रुपये उधारी के अतिरिक्त 80,000 करोड़ रुपये उधारी लेगी।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमने राजकोषीय समेकन के अपमने मार्ग को जारी रखने की योजना बनाई है और 2025-26 तक राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत से नीचे के स्तर पर लाने का लक्ष्य है, जो समय बीतने के साथ धीरे धीरे कम होगा। हम उम्मीद करते हैं कि कर अनुपालन में सुधार करके कर राजस्व बढ़ाकर राजकोषीय समेकन किया जा सकेगा, दूसरे संपत्तियों के मुद्रीकरण से होने वाली प्राप्तियों से राजकोषीय घाटा कम किया जाएगा। संपत्तियों के मुद्रीकरण की योजना में सार्वजनिक उद्यम और जमीनें शामिल होंगी।’
वित्त वर्ष 2022 में राजकोषीय घाटा, राजस्व और व्यय को देखते हुए नॉमिनल जीडीपी 222 लाख करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वित्त वर्ष 21 के संशोधित नॉमिनल जीडीपी अनुमान से 14.4 प्रतिशत ज्यादा है।
केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘राजकोषीय घाटे में सरकार की उधारी शामिल है और इसके साथ राज्यों को ज्यादा घाटे की अनुमति देने से आने वाले वर्षों में नकदी पर दबाव बढ़ेगा। यह अगले कुछ साल तक जारी रहेगा,जैसा कि सरकार ने वित्त वर्ष 26 तक 4.5 प्रतिशत घाटे का लक्ष्य रखा है।’ उन्होंने कहा कि बहरहाल वृद्धि पर जोर दिया गया है और अभी वित्तीय अनुशासन को दरकिनार किया गया है, जिससे  लगता है कि केंद्र अभी बजट घाटे पर लगाम लगाने की जल्दबादी में नहीं है।
मौजूदा कानून के तहत अनुमति प्राप्त सीमा से इतर राजकोषीय घाटे को विस्तार देने के लिए सरकार वित्त विधेयक में एफआरबीएम अधिनियम में संशोधन पेश करेगी।
यह दूसरा मौका है, जब सरकार ने वित्तीय समेकन की एनके सिंह समिति की सिफारिशों में बदलाव किया है। इसके पहले राजकोषीय घाटे को कम करके वित्त वर्ष 2022-23 तक इसे जीडीपी के 3.1 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया था।

First Published - February 2, 2021 | 12:16 AM IST

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