वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आज (1 फरवरी 2025) को यूनियन बजट (Union Budget) पेश कर रही हैं। यह मोदी सरकार 3.0 का दूसरा पूर्ण बजट है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण की शुरुआत में ही कृषि क्षेत्र के लिए कई बड़े ऐलान किए।
वित्त मंत्री ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए पीएम धन धान्य कृषि योजना की घोषणा की। यह योजना 100 जिलों को कवर करेगी। इसका उद्देश्य- फसल विविधीकरण, भंडारण बढ़ाना, सिंचाई में सुधार और किसानों के लिए दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋण की सुविधा प्रदान करना है।
पहले चरण में 100 विकासशील कृषि जिलों को इसमें शामिल किया जाएगा। खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्रीय तेल मिशन संचालित किया जा रहा है। 10 साल पहले किए गए प्रयासों से दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल हुई थी, जिससे किसानों की आय और आर्थिक क्षमता में सुधार हुआ।
उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया, रोजगार, नवाचार, ऊर्जा आपूर्ति, खेल विकास और एमएसएमई का विस्तार देश की विकास यात्रा का अभिन्न हिस्सा हैं, जिसे सुधारों से गति मिलेगी। इस पहल से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है। ग्रामीण समृद्धि और सतत विकास राज्यों की भागीदारी से सुनिश्चित किया जाएगा। कौशल विकास और निवेश के जरिए कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में नए विकल्प सृजित होंगे। इस योजना का फोकस युवा किसानों, ग्रामीण महिलाओं और छोटे किसानों पर होगा।
अब सरकार तुअर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान दे रही है। किसानों को समर्थन देने के लिए केंद्रीय एजेंसियों में पंजीकरण और करार की प्रक्रिया को सशक्त बनाया जाएगा। अगले चार वर्षों में एजेंसियां किसानों से उतनी ही दलहन खरीदेंगी, जितनी वे उत्पादन करेंगे।
मछली पालन के क्षेत्र में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसका बाजार मूल्य 60,000 करोड़ रुपये से अधिक है। सरकार अंडमान, निकोबार और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को प्रोत्साहित करेगी।
कपास उत्पादकता मिशन के तहत कपास उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की जाएगी और लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन शुरू किया जाएगा, जिसके अंतर्गत अनुसंधान और उच्च उत्पादकता वाले बीजों की 100 से अधिक किस्में उपलब्ध कराई जाएंगी।
किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जाएगी, और बिहार में मखाना उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए एक मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा।