facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

संसद, सांसद और सांसद निधि

Last Updated- December 11, 2022 | 12:12 AM IST

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सरकारी खजाने में सबसे ज्यादा न केवल आय कर जमा कराती है बल्कि दूसरी तरह के करों में भी उसका योगदान सर्वाधिक है।
जहां दिल्ली से सात सांसद चुने जाते हैं वहीं मुंबई से छह सदस्य चुन कर संसद पहुंचते हैं। कहा जा सकता है कि सांसद निधि के रूप में सबसे ज्यादा पैसा मुंबई में ही आता है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दौरान (2004-2009) मुंबई के सांसदों को कुल 154.45 करोड़ रुपये बतौर सांसद निधि  प्राप्त हुए। इसमें से यहां के सांसदों ने 140.61 करोड़ रुपये खर्च किए।
लोकसभा चुनाव 2004 में मुंबई की छह सीटों में से पांच में कांग्रेसी उम्मीदवार सफल हुए थे, जबकि एक पर शिवसेना भगवा फहराने में सफल हुई थी। इन सांसदों के फंड को देखकर पता चलता है कि सबसे कम फंड लाने और खर्च करने वाले उत्तर मुंबई के कांग्रेसी सांसद गोविंदा रहे हैं।
गोविंदा कुल निधि का सिर्फ 87 फीसदी ही खर्च कर पाये, जबकि सबसे ज्यादा फंड लाने और खर्च करने वालों में शिवसेना के सांसद मोहन रावले आगे रहे हैं। पांच साल के दौरान रावले को सांसद निधि के माध्यम से सबसे ज्यादा 27.24 करोड़ रुपये मिले। रावले ने इसमें से लगभग 95 फीसदी रकम खर्च की है।
सांसदों को सांसद निधि से मिली रकम और खर्च का विवरण सूचना के अधिकार के तहत चेतन कोठारी ने हासिल किया। कोठारी के अनुसार सांसदों ने लगभग 90 फीसदी रकम खर्च की है जो बहुत ही अच्छी स्थिति मानी जा सकती है, लेकिन यहां यह देखने वाली बात है कि फंड का खर्च क्या सही तरीके से किया गया है?
लगभग सभी सांसदों ने सबसे ज्यादा पैसा झोपड़-पट्टी इलाकों में खर्च किया है। उसमें भी शौचालयों के निर्माण और साफ सफाई में खर्च दिखाया गया है। कोठारी के अनुसार अब लोगों को तय करना चाहिए की उनके सांसद जितनी रकम खर्च करने की बात कर रहे है, उसमें कितनी सच्चाई है।
फंड लाने और खर्च करने के मामले में फिसड्डी साबित हुए कांग्रेसी सांसद गोविंदा। हालांकि इस बार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत अजमाने के लिए नहीं उतरे हैं, उनकी जगह कांग्रेस ने उत्तर भारतीय नेता संजय निरुपम को मैदान में उतारा है।
गोविंदा आहूजा (कांग्रेस)
जीत का अंतर: 48,271
सांसद निधि: 23.60 करोड़ रुपये
खर्च:  20.71 करोड़ रुपये
प्रिया दत्त (कांग्रेस)
जीत का अंतर: 1,72,043
सांसद निधि: 26.76 करोड़ रुपये
खर्च:  25.63 करोड़ रुपये
एकनाथ गायकवाड (कां.)
जीत का अंतर: 13,329
सांसद निधि :  23.81 करोड़ रुपये
खर्च:   22.60 करोड़ रुपय
मोहन रावले (शिवसेना)
जीत का अंतर: 22,188
सांसद निधि:  27.24 करोड़ रुपये
खर्च:   25.87 करोड़ रुपये
गुरूदास कामत (कांग्रेस)
जीत का अंतर: 99,400
सांसद निधि:  26.20 करोड़ रुपये
खर्च:   22.59 करोड़ रुपये
मिलिंद देवड़ा (कांग्रेस)
जीत का अंतर: 10,246
सांसद निधि: 26.84 करोड़ रुपये
खर्च:   23.21 करोड़ रुपये

First Published - April 13, 2009 | 6:09 PM IST

संबंधित पोस्ट