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कर व्यवस्था को सरल बनाने की कोशिश

Last Updated- December 12, 2022 | 8:56 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आय कर दरों में कोई बदलाव किए बिना कर व्यवस्था को सरल बनाने के कई उपायों की घोषणा की है, जिनमें आसान कर अनुपालन, और कर संबंधित मुकदमेबाजी में कमी मुख्य रूप से शामिल हैं।
इन उपायों में छोटे करदाताओं के लिए विवाद समाधान समिति, फेसलेस आय कर अपीलीय प्राधिकरण (आईटीएटी), प्रवासी भारतीयों के लिए दोहरे कराधान से जुड़ी चिंताओं को दूर करना, वरिष्ठ  नागरिकों को आयकर रिटर्न करने से छूट प्रदान करना और सामान्य मामलों में पुन:आकलन समय 6 साल से घटाकर 3 साल किया जाना भी शामिल है। इसके अलावा, बजट में एडवांस रूलिंग की संस्था को दो सदस्यीय बोर्ड में बदलने की घोषणा भी शामिल है। इसकी अध्यक्षता मुख्य आयुक्त दर्जे के अधिकारी द्वारा की जाएगी। ऐसे बोर्ड के एडवांस रूलिंग किसी आवेदक या विभाग पर बाध्यकारी नहीं होने चाहिए, और इन्हें उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकेगा।
सरकार डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास डिस्प्यूट रिजोल्यूशन स्कीम 2020 के तहत 85,000 करोड़ रुपये मूल्य के विवादों से जुड़े 1.1 लाख लंबि मामले निपटाएगी।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘छोटे करदाताओं के लिए मुकदमेबाजी में कमी लाने के लिए मैंने एक डिस्प्यूट रिजोल्यूशन कमेटी  के गठन का प्रस्ताव रखा है, जो फेसलेस होगी। यह समिति दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। 50 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले और 10 लाख रुपये तक की विवादित आय वाले किसी भी व्यक्ति को समिति में अपनी आवाज उठाने का अधिकार होगा।’ इस नई व्यवस्था के तहत, आकलनकर्ता को विवाद समाधान को अपनाने या नहीं अपनाने का विकल्प होगा। डीआरसी के पास मामले से संबंधित किसी तरह के जुर्माने को घटाने या माफ करने का अधिकार होगा।
इसके अलावा करदाताओं और कर अधिकारी के बीच पारंपरिक बातचीत की संभावना दूर करने के मकसद के साथ बजट में नैशनल फेसलेस इन्कम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) की घोषणा की गई है, जिसमें सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की जाएगी। बजट मेमोरेंडम के अनुसार, ‘इससे न सिर्फ करदाताओं के लिए अनुपालन की लागत घटेगी बल्कि अपीलों के निपटान में पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिलेगा और साथ ही विभिन्न बेंच में कार्य वितरण में भी मदद मिलेगी। इससे संसाधनों के उचित इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा।’
बजट में इनकम-टैक्स सेटलमेंट कमीशन (आईटीएससी) को बंद करने और लंबित मामलों के लिए अंतरिम निपटान बोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
रिटर्न फाइल नहीं करने वालों से बजट में दोगुना टीडीएस वसूलने का प्रस्ताव रखा गया है। यह व्यवस्था उन मामलों में लागू होगी जिनमें प्रत्येक पूर्ववर्ती दो वर्षों में टीडीएस और स्रोत पर एकत्रित कर 50,000 रुपये या इससे ज्यादा है। एकेएम ग्लोबल के पार्टनर अमित महेश्वरी ने कहा, ‘भले ही इससे और ज्यादा कर रिटर्न जोड़कर कर आधार में इजाफा होगा, लेकिन इससे कर काटने वालों या संग्रहकर्ताओं के लिए प्रशासनिक बोझ भी बढ़ जाएगा।’
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि वर्ष 2020 में, रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या बढ़कर 6.48 करोड़ हो गई जो 2014 में 3.31 करोड़ थी।
फेसलेस आकलन व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए आकलन प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय-सीमा भी 12 महीने से घटाकर 9 महीने की गई है, जिसका मतलब है कि रिटर्न को 31 मार्च के बजाय आकलन वर्ष के 31 दिसंबर तक संशोधित किया जा सकेगा।

First Published - February 1, 2021 | 11:52 PM IST

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