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चावल की सरकारी खरीद में 25 फीसदी का इजाफा

Last Updated- December 08, 2022 | 7:01 AM IST

बंपर उत्पादन और आकर्षक खरीद मूल्य के कारण चालू खरीफ विणन सीजन में सरकार ने पिछले वर्ष के मुकाबले 25 फीसदी अधिक चावल की खरीद की है।


2 दिसंबर तक 115.4 लाख टन चावल की खरीद की जा चुकी है। अभी तक पंजाब से 80.9 लाख टन (पिछले साल 69.5 लाख टन), हरियाणा से 12.8 लाख टन (पिछले साल 14.2 लाख टन), उत्तर प्रदेश से6,59,977  टन (पिछले साल 2,63,100 टन), आंध्र प्रदेश से 5,43,210 टन (पिछले साल 1,37,397 टन) और छत्तीसगढ़ से 3,88,325 टन (पिछले साल 2,20,545 टन) चावल की खरीद की जा चुकी है।

हरियाणा को छोड़ कर शेष राज्यों में खरीदारी जोर-शोर से चल रही है। गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगे होने के कारण चावल की खरीदारी में निर्यातकों की दिलचस्पी लगभग नगण्य है।

उल्लेखनीय है कि महंगाई को नियंत्रित करने के उपायों के तहत सरकार ने इस साल मार्च में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। साल 2006-07 में 37 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया था।

भारतीय खाद्य निगम के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि इस सल 282 लाख टन चावल की खरीद होगी। हालांकि, खरीद अगर वर्तमान रफ्तार के साथ जारी रही तो संभव है कि इस वर्ष खरीद का एक नया रिकॉर्ड बन जाए।’

अधिकारी ने कहा कि कुछ किसानों द्वारा बेहतर किस्म के चावल (जिसमें बासमती भी शामिल है) की खेती करने केकारण हरियाणा से कम चावल की खरीद हुई है। साल 2007-08 के सीजन में कुल 285 लाख टन चावल की खरीद की गई थी।

साल 2008-09 के खरीफ सीजन में अनाुमन है कि रिकॉर्ड 832.5 लाख टन चावल का उत्पादन होगा। ‘ए’ ग्रेड के धान का खरीद मूल्य सरकार ने 930 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि आम किस्मों के लिए यह 900 रुपये प्रति क्विंटल है। धान की ये खरीद कीमतें पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक हैं।

साल 2008-09 में चावल की खरीदारी करने वाली एजेंसियां अगर 10,000 टन से अधिक की खरीदारी करती हैं तो उन्हें राज्य सरकार को इस बात की सूचना अनिवार्य रूप से देनी होगी जबकि 25,000 टन से अधिक की खरीदारी करने पर केंद्रीय खाद्य विभाग को सूचित करना होगा।

चावल की घरेलू उपलब्धता बढ़ने और महंगाई कम होने से भी चावल की सरकारी खरीद में तेजी आई है।

First Published - December 3, 2008 | 10:55 PM IST

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