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उत्तर प्रदेश के 80 फीसदी कोल्ड स्टोर में भरे पड़े हैं आलू के स्टॉक, मगर फिर दाम छू रहे आसमान

उद्यान विभाग का कहना है कि अगस्त-सितंबर में आलू की कीमतों में कुछ नरमी देखने को मिलेगी मगर इसके बहुत ज्यादा नीचे जाने के आसार नहीं हैं।

Last Updated- July 22, 2024 | 4:14 PM IST
While potato rates soaring, around 80 percent stock lying in UP coldstores उत्तर प्रदेश के 80 फीसदी कोल्ड स्टोर में भरे पड़े हैं आलू के स्टॉक, मगर फिर दाम छू रहे आसमान

Potato Price: बारिश, महंगी ढुलाई और कोल्ड स्टोरों से कम निकासी के चलते उत्तर प्रदेश में आलू के दाम नीचे नहीं आ रहे हैं। मानसून में जहां प्याज से लेकर सभी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं आलू की लगातार बढ़ती कीमतों के पीछे कम आवक को माना जा रहा है।

आलू की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए प्रदेश सरकार ने उद्यान विभाग से कोल्ड स्टोरों से निकासी तेज करने को कहा है। उत्तर प्रदेश में अभी कोल्ड स्टोरों में जमा आलू का 20 फीसदी ही निकाला गया है जिसके चलते कीमतों में तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश में आलू की सबसे बड़ी मंडी और सबसे ज्यादा कोल्ड स्टोरों वाले जिले फर्रुखाबाद में 8.62 लाख टन आलू का भंडारण किया गया था जिसमें से मामूली निकासी ही हो पाई है। इस जिले से दिल्ली, बिहार, नेपाल सहित पूरे उत्तर प्रदेश में आलू की आपूर्ति की जाती है।

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 107 कोल्ड स्टोर फर्रुखाबाद जिले में ही हैं जहां की कुल क्षमता का 90 फीसदी आलू भंडारण के काम आता है। इस बार होली के बाद से नयी फसल के जाते ही कोल्ड स्टोरों से निकासी धीमी रफ्तार से की जा रही है। कम निकासी के चलते मार्च के महीने में खुदरा बाजार में 10 रुपये किलो बिकने वाला आलू अप्रैल में 20 रुपये पहुंच गया था। इस समय प्रदेश की फुटकर मंडियों में आलू की कीमत 35-40 रुपये किलो चल रही है जबकि थोक मंडी में भी इसकी कीमत 20 रुपये तक जा पहुंची है।

उत्तर प्रदेश में इस बार लक्ष्य के मुकाबले आलू की पैदावार में भी थोड़ी कमी देखने को मिली थी। उद्यान विभाग ने 245 लाख टन आलू उत्पादन का लक्ष्य रखा था जबकि उत्पादन 222 लाख टन ही हुआ। इसमें से 139 लाख टन कोल्ड स्टोरों में भंडारण किया गया है। अप्रैल से आलू की कीमतें बढ़ने के चलते व्यापारी कोल्ड स्टोरों से निकासी ढीमी कर रहे हैं।

उद्यान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोल्ड स्टोर मालिकों से आलू की निकासी तेज करने को कहा गया है। हालांकि उन्होंने कहा कि बारिश में थोड़ा कमी आने पर ज्यादा तादाद में निकासी होगी और कीमतों में कुछ कमी आएगी।

उनका कहना है कि अगस्त के महीने में आलू की कीमत में गिरावट देखने को मिल सकती है। फिलहाल प्रदेश की सबसे बड़ी थोक मंडी फर्रुखाबाद में ही आलू की निकासी 20-25 रुपये किलो के हिसाब से हो रही है जो कि अन्य जिलों व दिल्ली के फुटकर बाजारों तक पहुंचते-पहुंचते 40 रुपये हो जाती है। अधिकारियों का कहना है कि इस बार खासी मात्रा में करीब 1.02 लाख टन आलू नेपाल भी भेजा गया साथ ही देश के कई अन्य राज्यों में भी यहां से आलू गया है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक जिलों फर्रुखाबाद, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, एटा, कन्नौज, इटावा व कासगंज में बोआई सितंबर-अक्टूबर में की जाती है और तैयार फसल दिसंबर के अंत से आना शुरु हो जाती है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में बुआई देर से होती है और फसल फरवरी से बाजार में आना शुरु होती है।

उद्यान विभाग का कहना है कि अगस्त-सितंबर में आलू की कीमतों में कुछ नरमी देखने को मिलेगी मगर इसके बहुत ज्यादा नीचे जाने के आसार नहीं हैं।

First Published - July 22, 2024 | 4:14 PM IST

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