नये कोयला राज्य मंत्री संतोष बगरोडिया के पास देश में कोयले का पर्याप्त भंडार करने के लिए खास योजना है।
व्यापारी से राजनीतिक बने बगरोडिया नये दौर के गांधीवादी हैं। वो रोजाना गोल्फ खेलना नहीं भूलते हैं, तो दूसरी ओर अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से भी मुंह नहीं मोड़ते हैं। हमारे संवाददाता सुधीर पाल सिंह और वंदना गोम्बर ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…
आपकी तीन सबसे प्रमुख तीन प्राथमिकताएं क्या हैं?
मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि उत्पादन बढ़ाया जाए ताकि अगले कुछ महीनों में कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। हमारी रणनीति है कि उत्पादन को सही तरीके से बढ़ाया जाए इसके अलावा अधिक डिलिवरी पर भी हमारा जोर रहेगा। रेलवे द्वारा कम ढुलाई से हमारा बहुत सारा स्टॉक ऐसे ही रखा रह जाता है। इस दिशा में बेहतर काम के लिए रेलवे से हमारी बातचीत चल रही है।
क्या कोयले की अपर्याप्त ढुलाई से ही पिछले सात दिनों से कई पावर प्लांट कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं?
इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। इसके लिए उपभोक्ता जिम्मेदार हैं। वे इस पर अधिक खर्च नहीं करना चाहते और कम कीमत में अधिक माल चाहते हैं, जिससे हमे उत्पादन में समस्या आ रही है। हमारे पास एक महीने से अधिक उत्पादन का स्टॉक है।
आपकी दूसरी प्राथमिकताएं क्या हैं?
हमारी दूसरी प्राथमिकता मानव अधिकारों को लेकर है, खासकर महिला कर्मचारियों को लेकर। यदि महिला गर्भवती है और वो नीचे खदान में जा रही है तो होने वाला बच्चा विकलांग पैदा हो सकता है। मैं नहीं चाहता कि देश में विकलांग बच्चों की फौज खड़ी हो जाए। इससे निपटने के लिए जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, उठाए जाएंगे। इस पर विशेषज्ञों से भी राय मशविरा लिया जा रहा है। हमारी तीसरी प्राथमिकता हर तरह के भ्रष्टाचार पर काबू पाना होगी।
वैसे आपके पूर्ववर्ती भी भ्रष्टाचार के खात्मे की बातें करते रहे हैं, लेकिन इसमें कामयाब नहीं हो पाए। माना जाता है कि यह विभाग भ्रष्टाचार से ग्रसित प्रमुख विभागों में से एक है। ऐसे में आप कैसे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में सफल होंगे?
यह कहना कि केवल कोयला क्षेत्र में भ्रष्टाचार है और दूसरे क्षेत्रों में नहीं है, ठीक नहीं होगा। यदि भ्रष्टाचार है तो वो पूरे तंत्र में है, आप बताइए कि भ्रष्टाचार केवल सरकारी क्षेत्र में है, निजी में नहीं है। क्या आप इस बात से सहमत हैं कि आपका मीडिया भी पूरी तरह से भ्रष्टाचार से मुक्त है? इस तरह से किसी भी विभाग के बारे में राय बनाना ठीक नहीं है। मैं आश्वस्त करता हूं कि जल्द ही भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी जाएगी।
कोयला क्षेत्र के आवंटन में फैले भ्रष्टाचार से निपटने का कोई एक रास्ता आप हमें बताइए?
वास्तव में यह गलतफहमी है। अधिकतर भंडार सरकारी विभागों को या सरकारी कंपनियों को आवंटित किये जाते हैं। इसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम है।
कोयला मंत्रालय को संभालने में आपको क्या लगता है कि एक व्यापारी या एक राजनीतिक में से आपकी कौन सी विशेषता आपकी ज्यादा मदद करेगी?
मैं एक व्यापारिक घराने से ताल्लुक रखता हूं लेकिन जबसे राजनीति में आया हूं तो लगा कि राजनीति एक पूर्णकालिक काम है। यदि मैं राजनीति के साथ बिजनेस भी करुंगा तो दोनों भूमिकाओं के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा।