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स्टील की कीमतें डाल रही है असर : एआईएफआई

Last Updated- December 05, 2022 | 11:43 PM IST

स्टील की बढ़ती कीमतों को देखते हुए द असोसिएशन ऑफ इंडियन फोर्जिंग इंडस्ट्री (एआईएफआई) ने इसकी कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार से उपयुक्त कदम उठाने की मांग की है।


असोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि सरकार या तो लौह अयस्क के निर्यात पर पूरी तरह पाबंदी लगा दे या फिर निर्यात पर 200 फीसदी की डयूटी लगा दे।एआईएफआई के प्रेजिडेंट विद्याशंकर कृष्णन ने कहा कि बढ़ती घरेलू मांग के कारण कई देशों ने लौह अयस्क और स्टील के निर्यात पर या तो पाबंदी लगा दी है या फिर पाबंदी लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी के चलते छोटी और मंझोली इकाइयों पर बुरा असर पड़ा है और इसके चलते बेरोजगारी बढ़ सकती है।


उन्होंने कहा कि ताइवान और कोरिया ने लौह अयस्क व स्टील के निर्यात पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है ताकि घरेलू जरूरतें पूरी की जा सके। सबसे बड़े स्टील उत्पादक और कोक के निर्यातक चीन ने निर्यात पर रोक लगा दी है ताकि घरेलू बाजार में इन चीजों का पर्याप्त उपलब्धता रहे।


एआईएफआई ने दावा किया कि छड़ और दूसरे कच्चे माल माल पर चीनी सरकार ने 25 फीसदी की निर्यात ड्यूटी लगा दी है और यही वजह है कि छड़ आदि की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी है। छड़ की कीमतें 550 डॉलर प्रति टन से 750 डॉलर प्रति टन हो गई है।


असोसिएशन का कहना है कि सरकार स्टील उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कोक और दूसरे कच्चे माल मसलन मैंगनीज, सिलिकन, क्रोमियम, मोलिब्डेनम और निकेल के आयात पर डयूटी घटाए।


उन्होंने कहा कि सेल और राष्ट्रीय इस्पात निगम जैसी कंपनियां कीमतें बढाने में मनमानी कर रही हैं, हालांकि उनकी लागत में बढ़ोतरी नहीं हुई है। संगठन ने प्रधानमंत्री के उस बयान का स्वागत किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर स्टील और सीमेंट की कीमतों में उछाल आता है तो वह मामले में हस्तक्षेप करेंगे। केंद्रीय वित्त मंत्री ने भी हाल में कहा था कि स्टील और सीमेंट कंपनियों ने कार्टल बनाया है और कीमतें बढ़ा रही हैं।

First Published - April 24, 2008 | 11:40 PM IST

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