भारतीय रिफाइनरी केलिए कच्चे तेल का बास्केट प्राइस सोमवार को एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया।
सोमवार को यह 104.63 डॉलर प्रति बैरल के रेकॉर्ड पर पहुंच गया। वैसे मंगलवार को न्यू यॉर्क मकर्ेंटाइल एक्सचेंज में मई डिलिवरी वाला कच्चे तेल का वायदा 113.66 डॉलर के रेकॉर्ड पर पहुंच गया। भारतीय बास्केट प्राइस के मामले में यहां सोमवार का जिक्र इसलिए हो रहा है क्योंकि इसी दिन के आंकड़े फिलहाल उपलब्ध हैं।
डॉलर में कमजोरी और सप्लाई में बाधा के चलते कच्चे तेल में उफान आया है। गौरतलब है कि खराब मौसम की वजह से मेक्सिको ने तेल निर्यात केलिए इस्तेमाल किए जाने वाले बंदरगाह को बंद कर दिया है और इस वजह से सप्लाई में अड़चन पैदा हुई है।
मुंबई स्थित एक विशेषज्ञ ने बताया कि पिछले हफ्ते के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कच्चे तेल व फ्यूल का स्टॉक दरका है और इसी वजह से कीमतें बढ़ी हैं। इस हफ्ते का अमेरिकी आंकड़ा बुधवार को आने की उम्मीद है। जनवरी से अब तक अमेरिकी तेल की कीमत में 17 फीसदी का उछाल आया है।अप्रैल महीने में भारतीय रिफायनरी के बास्केट प्राइस का औसत 101.23 डॉलर प्रति बैरल पर रहा है जबकि मार्च में इसका औसत 99.76 डॉलर प्रति बैरल था।
ऊंची कीमत की वजह से इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को कुल मिलाकर रोजाना 550 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है क्योंकि इन कंपनियों को बढ़ी हुई लागत उपभोक्ता से वसूलने की इजाजत नहीं है। इस तरह भारतीय तेल मार्केटिंग कंपनियों के नुकसान में 25 फीसदी का इजाफा हो गया है क्योंकि मार्च महीने में उन्हें रोजाना 440 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था।कम दर पर पेट्रोल-डीजल आदि बेचने से इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को अकेले 320 करोड़ रुपये प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है।
इंडियन ऑयल के एक अधिकारी ने कहा कि इन परिस्थितियों में हम ज्यादा दिन तक मुनाफा कमाने वाली कंपनियों की सूची में शामिल नहीं रह पाएंगे। रिटेल नुकसान के कारण ये तीनों कंपनियां तरलता के संकट से भी जूझ रही हैं।