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आंध्र की काजू इकाइयां कसेंगी प्रदूषण पर लगाम

Last Updated- December 09, 2022 | 11:15 PM IST

आंध्रप्रदेश के सबसे बड़े काजू बाजार पालसा के काजू निर्माताओं ने परंपरागत ड्रम रोस्टिंग सिस्टम की बजाय धीरे-धीरे ब्वॉयलर कुकिंग पर अपना हाथ आजमाना शुरू कर दिया है।


श्रीकाकुलम के पालसा जिले में चलने वाली लगभग 200 काजू निर्माण इकाइयों की क्षमता 400,000-450,000 टन तक पहुंच रही है। ये इकाइयां ड्रम रोस्टिंग सिस्टम के तहत काम करती थीं, जिससे वायु प्रदूषण होता है।

पिछले तीन-चार सालों से प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, प्रसंस्करण करने वालों को रोस्टिंग करने से रोकने के लिए नोटिस भी भेज रहे थे। उनका कहना था कि इसकी बजाय उन्हें काजू को उबालना ही चाहिए। अधिकारियों ने पिछले कुछ महीने से 124 इकाइयों को बंद करने का निर्देश भी दिया था।

पालसा काजू निर्माता संघ के पूर्व अध्यक्ष मल्ला नुका राजू के मुताबिक संचालक  पहले तो ब्वॉयलर कुकिंग का इस्तेमाल नहीं करना चाहते थे, क्योंकि इसमें काफी निवेश करना पड़ता है। कुछ संचालकों ने तो पालसा से 40 किलोमीटर दूर उड़ीसा में ही जाने को सोच लिया था।

राजू ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अब ये संचालक ब्वॉयलर सिस्टम को ही अपनाने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हर इकाई के लिए इस प्रसंस्करण के तरीके में बदलाव के लिए 10 लाख रुपये की जरूरत होगी।

उनका कहना है, ‘केंद्र सरकार ने हाल ही में इसके लिए एक सब्सिडी स्कीम की घोषणा की है जिसके तहत हर एक इकाई को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसमें से सब्सिडी का हिस्सा 2.5 लाख रुपये है जबकि 7.5 लाख रुपये के टैक्स में छूट दी जाएगी।’

लगभग 10 इकाइयों के संचालकों को सरकारी वित्तीय सहायता मिली है। इसी वजह से उन्होंने पिछले एक डेढ़ महीने में प्रसंस्क रण के सिस्टम में बदलाव किया है।

First Published - January 27, 2009 | 10:49 PM IST

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