असम के पहाड़ी जिले कर्बी आंगलौंग ने अदरक उत्पादन में रिकॉर्ड उपलब्धि हासिल की है।
अदरक उत्पादक सहकारी विपणन संघ (जिन-फेड) नामक किसान संगठन के सहयोग से यहां के किसानों ने जैविक खेती से 12,500 टन अदरक पैदा किया है। यह संगठन जिले के डिप्टी कमिश्नर एम.अंगामुत्थु के दिमाग की उपज रहा है।
10,344 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला राज्य का यह सबसे बड़ा जिला अपनी अनूठी जलवायु के चलते शुरू से ही इलाके में अदरक का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। अभी पिछले ही साल इस संगठन का गठन हुआ था। डिप्टी कमिश्नर अंगामुत्थु के मुताबिक इसकी स्थापना का मुख्य मकसद इलाके के सभी छोटे और मध्यम अदरक उत्पादक किसानों को एकत्र करके उन्हें एक छत के नीचे लाना था।
उनके अनुसार, अदरक की खेती कुछ समय पहले झगड़े की जड़ बन गई और परिणाम हुआ कि 2003 में इसे लेकर अतिवादी गुटों के बीच संघर्ष की शुरूआत हो गई। उग्रवादियों के उत्पीड़न, बिचौलियों की ठगी और प्राकृतिक नुकसान के बावजूद जिले ने दुनिया में जैविक अदरक का सबसे बेहतर उत्पादन स्तर बनाए रखा है।
जिले में खाद्य प्रसंस्करण इकाई की असंतोषजनक स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि यहां 2006 तक तो कोई इकाई ही नहीं थी। पर राज्य सरकार और कर्बी आंगलौंग स्वायत्तशासी जिला परिषद (केएएडीसी) के सहयोग से जिन-फेड ने किसानों को उपज का वाजिब मूल्य दिलाया। यही नहीं इस संगठन की कोशिश रही कि किसानों को अदरक की खरीद और बिक्री तक सीमित न रखकर उन्हें जैविक खेती के लिए प्रमाणपत्र भी दिलवाएं।
अब यह जिला सिलीगुड़ी, कोलकाता और नई दिल्ली को कच्चे जैविक अदरक की आपूर्ति कर रहा है। मध्य पूर्व और सुदूर पश्चिमी देशों को इसका निर्यात भी करता है। अदरक के सफल जैविक उत्पादन से उत्साहित इस इलाके का लक्ष्य बताते हुए अंगामुत्थु का कहना है कि यह उत्तर-पूर्वी इलाका तेजी से बढ़ते वैश्विक खाद्य बाजार में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। जरूरत है कि इस जिले को देश और विदेश में अदरक उत्पादन में एक ब्रांड के रूप में स्थापित कराया जाए।